इतिहासकार और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित रोमिला थापर से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीवी जमा करने को कहा है ताकि यह विचार किया जा सके कि जेएनयू में उनकी सेवाएं एमेरिटा प्रोफेसर के रूप में जारी की जाएं या नहीं. इस मामले पर जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रोमिला थापर से सीवी मांगने का फैसला राजनीतिक रूप से प्रेरित है. इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. अब इस पर लेखक जावेद अख्तर ने ट्वीट किया है.
Please don’t get so upset . Ofcourse they know that she is an internationally recognised and respected Historian with a CV that is slightly shorter than the Delhi telephone directory . They just want to confirm if she has her B.A. degree because that often goes missing .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 2, 2019
जावेद अख्तर ने लिखा, 'नाराज होने की जरूरत नहीं है. बेशक वे जानते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर की सम्मानित इतिहासकार हैं, जिनका सीवी दिल्ली की टेलीफोन डायरेक्टरी से थोड़ा-सा ही छोटा होगा. वे सिर्फ इस बात को पुख्ता करना चाहते हैं कि उनकी बीए की डिग्री है या नहीं क्योंकि यह आजकल अक्सर खो जाती है.' जावेद अख्तर ने यह ट्वीट शशि थरूर और और एक अन्य शख्स के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा है.
वहीं, इस मामले पर विश्वविद्यालय ने कहा कि वह जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस के पद पर नियुक्ति के लिए अपने अध्यादेश का पालन कर रहा है. दूसरी तरफ जेएनयूटीए ने कहा कि रोमिला थापर से सीवी मांगना जानबूझकर उन लोगों को बेइज्जत करने का प्रयास है जो वर्तमान प्रशासन के आलोचक हैं. जेएनयूटीए ने इस मुद्दे को लेकर थापर के लिए व्यक्तिगत माफी जारी करने की भी मांग उठाई. साथ ही कहा कि प्रोफेसर थापर का अपमान राजनीतिक रूप से प्रेरित एक और कदम है.
बता दें जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने पिछले महीने रोमिला थापर को पत्र लिखकर उनसे सीवी जमा करने को कहा था. पत्र में लिखा था कि विश्वविद्यालय एक समिति का गठन करेगी जो थापर के कामों का आकलन करेगी. जिसके बाद फैसला लिया जाएगा कि रोमिला प्रोफेसर एमेरिटा के तौर पर जारी रहेंगी या नहीं. बता दें रोमिला थापर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचक रही हैं.