फरहान अख्तर का प्रोडक्शन हाउस जल्द ही अपनी अगली फिल्म फुकरे के साथ आ रहा है. फुकरे दिल्ली का पॉपुलर शब्द है. ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो निकम्मे होते हैं या जिनके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता है.
फुकरे कहानी है चार निकम्मे लड़कों की जो निकम्मे हैं और कुछ न कुछ जुगाड़ में लगे रहते हैं हर वक़्त. फिल्म के डायरेक्टर मृगदीप सिंह लांबा जो फरहान के साथ डॉन में असिस्टेंट डायरेक्टर भी थे उन्होंने फुकरे की कहानी उन्हें जब सुनाई थी तो फरहान उसे लेकर काफी उत्साहित हो गए थे. फरहान ने फिर इस कहानी की चर्चा रितेश के साथ की और उन्हें भी काफी पसंद आई. संयोग से फरहान और रितेश दोनों ही फुकरे के चार किरदारों से खुद को कई हद तक जोड़ सके.
फरहान ने हाल ही में इस बात का खुलासा किया कि वो अपने कॉलेज के दिनों में बहुत बड़े फुकरे थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई मुंबई के मानेकजी कूपर स्कूल से पूरी की और उसके बाद कॉमर्स की डिग्री के लिए मुंबई के ही एचआर कॉलेज में दाखिला लिया और उस दौरान उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था क्योंकि कॉलेज बहुत कम आते थे और क्लास में नहीं रहते थे. फरहान को ये भी पता नहीं था कि वे अपने जीवन में आगे क्या करना चाहते थे.
कॉलेज ख़त्म होने के बाद उन्होंने लगभग दो साल तक कुछ भी नहीं किया था. ये सब देख कर उनकी मम्मी बहुत उनके फ्यूचर को लेकर परेशान रहती थीं. हालाकि उसके बाद उन्होंने एक राह चुनी और 'दिल चाहता है' की स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू कर दिया. ये भी एक वजह है कि फरहान की दिल चाहता है और लक्ष्य फिल्मों में मुख्य किरदार अपने लक्ष्य को लेकर हमेशा एक उलझन में रहते हैं.
दिलचस्प यह है कि रितेश भी अपने कॉलेज के दिनों में एक नंबर के फुकरे थे. उन्हें बारहवीं में 50 से नीचे अंक मिले थे जिसकी वजह से उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया था. वे भी पूरी तरह से अनजान थे कि आगे चलकर उन्हें क्या करना है. उन्होंने अपने पिता के साथ फैमिली बिजनेस को भी संभालना शुरू किया था लेकिन उसमें भी उनका मन नहीं लगा और उन्होंने प्रोड्यूसर बनने की ठान ली.