मशहूर फिल्मकार मृणाल सेन का 95 साल की उम्र में निधन हो गया. मृणाल का निधन उनके कोलकाता के भवानीपोर में बने आवास में रविवार सुबह 10 बजे के करीब हुआ. उन्हें 2003 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया है. उन्हें कई नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया.
कौन है मृणाल सेन?
मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 में फरीदपुर नामक शहर में में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में है. मृणाल की रुचि शुरू में ध्वनि आलेखन की ओर थी.
1955 में उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म 'रातभोर' बनाई. इसके बाद फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' ने उनको पहचान दी. उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उनको अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलाई. बता दें कि उनकी अधिकतर फिल्में बांग्ला भाषा में है. उन्होंने हिंदी, उडिया और तेलुगु भाषा में भी फिल्में बनाई. 80 वर्ष की उम्र में 2002 में अपनी आखिरी फिल्म आमार भुवन बनाई थी.
इन पुरस्कारों से नवाजा गया
मृणाल सेन के लिए पुरस्कार और सम्मान मिलना कोई नई बात नहीं थी. साल 2005 में भारत सरकार ने उनको 'पद्म विभूषण' से भी नवाजा गया था. मृणाल को मिलान और पुणे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार के अलावा सोवियत लैंड अवॉर्ड (1979), पद्म भूषण(1981) फ्रांस का कमांडर डी ओड्र डेस आर्ट्स एट लैटर्स (1983) एशियन फेडरेशन का ऑर्डर ऑफ फ्रैंडशिप (2000) प्राप्त हो चुके हैं.
Sad to learn of the passing of acclaimed film-maker Mrinal Sen. From Bhuvan Shome to the Calcutta trilogy, his penetrating and sensitive portrayal of social realities made him a fine chronicler of our times. A loss to Bengal, to India and to the world of cinema #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 30, 2018
Saddened at the passing away of Mrinal Sen. A great loss to the film industry. My condolences to his family
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 30, 2018
At the end of the year receiving news like demise of the legend Mrinal Sen saddens and shocks us. Mrinal jethu gave a new perspective to Indian Cinema.Its a huge loss for all of us.May his soul rest in peace.
— Prosenjit Chatterjee (@prosenjitbumba) December 30, 2018
मृणाल सेन कान्स, शिकागो, बर्लिन, वीनस, टोक्यो आदि समारोह में निर्णायक रह चुके हैं. बता दें कि उन्हें भुवन शोम (1969), कोरस (1974), मृगया (1976) और अकालेर संधाने (1980) के लिए स्वर्ण कमल प्राप्त हो चुके है.