अमिताभ बच्चन पिछले 5 दशकों से बॉलीवुड के शहंशाह के रूप में पहचान बनाए हुए हैं. अमिताभ के करियर की शुरुआत में उन्हें टॉल, डार्क और हैंडसम यंग मैन के रूप में देखा जाता था. वे अपने समय के सुपरस्टार थे और आज भी पर्दे पर उनका जलवा कायम है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अमिताभ के बॉलीवुड करियर की शुरुआत आखिर हुई कैसे थी? आइए जानते हैं.
अमिताभ बच्चन ने ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिन्दुस्तानी से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. ये फिल्म 50 साल पहले रिलीज हुई थी. ये वो समय था जब अमिताभ कई फिल्मकारों के पास काम मांगने जाया करते थे, लेकिन उन्हें हमेशा रिजेक्ट कर दिया जाता था. अमिताभ को लोग ये बोलकर फ़िल्मों में नहीं लिया जाता था कि वे किसी भी हीरोइन के लिए बहुत लम्बे हैं. ये बात के एस बास के मेमॉयर में बताई भी गई है.
डायरेक्टर के एस अब्बास ने ऐसे दिया रोल
लेकिन हमेशा रिजेक्ट होने वाले अमिताभ को आखिर अब्बास साहब ने अपनी फिल्म में काम कैसे दिया? एक्टर टीनू आनंद ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अमिताभ अब्बास साहब से मिलने और फिल्म सात हिन्दुस्तानी में अनवर अली के किरदार को पाने तक का सफर पूरी तरह किस्मत का खेल रहा है.टीनू ने बताया था कि उन्होंने सात हिन्दुस्तानी फिल्म को बहुत पहले ही साइन कर लिया था. इसका कारण था कि वे अब्बास के परिवार के करीबी थे. ये वो समय भी था जब ख्वाजा अहमद अब्बास अपनी इस फिल्म के लिए हीरोइन की तलाश कर रहे थे. उस समय उन्हें टीनू की दोस्तों में से एक रहीं नीना सिंह एक हाउस पार्टी के दौरान पसंद आ गई थीं.
जब नीना से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने टीनू को कलकत्ता की बर्ड एंड को. कंपनी में काम करने वाले एक लड़के की फोटो डायरेक्टर को देने के लिए कहा. फोटो में वो लम्बा लड़का आइकॉनिक विक्टोरिया मेमोरियल के सामने खड़ा था. फोटो देखने के बाद अब्बास ने लड़के को अपने खर्च पर बॉम्बे में बुलाया और ऑडिशन के लिए इंतजार करने को कहा. इसके लिए उसे कोई पैसे भी नहीं दिए गए.
वो टीनू आनंद थे जो अमिताभ बच्चन को बम्बई आने के बाद अब्बास के ऑफिस लेकर गए थे. अब्बास के मेमॉयर के मुताबिक, अमिताभ अपनी तस्वीर से ज्यादा लम्बे नजर आ रहे थे. उन्होंने चूड़ीदार पजामा और नेहरु जैकेट पहनी थी. डायरेक्टर ने उनसे बात की, उन्हें अमिताभ अच्छे लगे और उन्हें अनवर अली के कवि दोस्त का किरदार दे दिया गया. लीड रोल टीनू आनंद का था.
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सालभर में मिले थे इतने पैसे
इस किरदार के लिए अमिताभ बच्चन को 5000 रुपये की तनख्वाह ऑफर कि गई और कहा गया कि भले ही ये फिल्म एक साल में बने या पांच साल में पैसे इतने ही मिलेंगे. 5000 रुपये उस समय के हिसाब से कम नहीं थे लेकिन इस फिल्म को करने के लिए अमिताभ ने कलकत्ता में अपनी नौकरी छोड़ी थी. उस नौकरी से अमिताभ बच्चन 1600 रुपये महिना कमाया करते थे. इसका मतलब था कि अमिताभ को एक पूरे सालभर शूटिंग करने के लिए अपनी कंपनी वाली नौकरी की सिर्फ 3 महीने की तनख्वाह के बराबर पैसे दिए जा रहे थे.
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अनवर अली के दोस्त से खुद अनवर अली बनने की कहानी
अमिताभ बच्चन ने फिल्म सात हिन्दुस्तानी को 15 फरवरी 1969 में साइन किया था. इसको हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उनकी एंट्री का ऑफिसियल दिन माना जाता है. फिल्म सात हिन्दुस्तानी में अमिताभ ने लीड रोल निभाया था और उनके काम को काफी पसंद किया गया था. लेकिन उन्हें तो अनवर अली के दोस्त का किरदार मिला था, तो फिर वो अनवर अली कैसे बने?
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ये कहानी भी अमिताभ की चमकती किस्मत का उदाहरण है. टीनू आनंद, अनवर अली का किरदार निभाने वाले थे. लेकिन अचानक उन्हें सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर सत्यजित रे की फिल्म का ऑफर मिला, टीनू के पिता को खत भेजा गया था, जिसमें लिखा था कि टीनू, सत्यजित रे संग काम कर सकते हैं. ये मौका मिलने के बाद टीनू आनंद ने सात हिन्दुस्तानी को छोड़ दिया और अनवर अली का रोल सीधे अमिताभ बच्चान को चला गया.
टीनू ने खुद अपने इंटरव्यू में माना था कि अमिताभ बच्चन ने सात हिन्दुस्तानी में कमाल किया था. टीनू ने कहा, 'उन्होंने अपने एक सीक्वेंस से जनता पर गहरा असर डाला था. उस सीक्वेंस में अमिताभ को गोवा से भारत आना होता है और उनका पैर रेजर से कट जाता है.'