अजय देवगन प्रकाश झा की नवीनतम फिल्म 'राजनीति' सहित उनकी लगभग तमाम फिल्मों का हिस्सा रहे हैं और झा के मुताबिक उन्हें इस राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता के साथ काम करके मजा आता है क्योंकि वह हर किरदार में फिट बैठते हैं.
झा ने कहा ‘सच में अजय के साथ मुझे और मेरे साथ उन्हें काम करने में मजा आता है. वह न सिर्फ एक महान पेशेवर है बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं और उनकी यही खूबी उन्हें औरों से अलग करती है.’ उन्होंने कहा, ‘हम दोनों के बीच एक दूसरे के लिए बेहतर समझ है. वह कुछ भी कर सकते हैं. कोई आश्चर्य नहीं जब मैं फिल्म लिख रहा होता हूं तो उसके एक या दो किरदार ऐसे होते हैं, जिनमें अजय एकदम फिट बैठते हैं.’
1999 से अबतक झा और देवगन ने साथ-साथ कुल चार फिल्मों- ‘दिल क्या करे’ (1999) ‘गंगाजल’ (2003) ‘अपहरण’ (2005) और ‘राजनीति’ (2010) में काम किया है. इस दौरान झा ने सिर्फ एक फिल्म ‘राहुल’ (2001) में देवगन को नहीं लिया. झा ने राहुल में एकदम नये चेहरों को मौका दिया था और फिल्म बॉक्स आफिस पर चारों खाने वित्त हो गई.
‘गंगाजल’ और ‘अपहरण’ चर्चित होने के साथ-साथ व्यवसायिक रूप से भी सफल रहीं. यही वजह है कि ‘राजनीति’ में नये पुराने कई अभिनेताओं को शामिल करने के बावजूद झा ने अजय देवगन के लिए एक खास जगह रखी. फिल्म में नसीरूद्दीन शाह और नाना पाटेकर जैसे मंझे हुए अभिनेताओं के साथ रणवीर कपूर और कैटरीना कैफ जैसे उभरते सितारे भी हैं. {mospagebreak}
झा ने कहा, ‘राजनीति विषय के बारे में मैंने अजय से 2005 में ही बात की थी, जिन दिनों हम अपहरण के निर्माण में व्यस्त थे. कहानी की रूपरेखा मेरे दिमाग में तभी से थी, जिसे बाद में मैंने आकार दिया.’ बताया जा रहा है कि झा अपनी आगामी फिल्म ‘आरक्षण’ में अमिताभ बच्चन को लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उसमें भी देवगन को लेने की पुष्टि हो चुकी है.
अपनी अब तक की सबसे महंगी फिल्म ‘राजनीति’ के बारे में झा को उम्मीद है कि यह फिल्म बॉक्स आफिस पर सफल होगी. वह कहते हैं, ‘जब एक फिल्म अच्छा करती है तो उससे सभी को फायदा होता है. राजनीति में कई अच्छे कलाकार हैं इसलिए लोगों को उससे काफी उम्मीदें भी हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रकाश झा के नाम से फिल्म नहीं चलेगी, झा ने कहा, ‘नहीं यह उचित नहीं होगा. चलती फिल्म है, निर्देशक नहीं. तमाम उम्मीदें फिल्म से जुड़ी होती हैं. शुरू में लोग प्रकाश झा का नाम देखकर भले ही सिनेमा हाल तक पहुंच जाएं, लेकिन अंत में उन्हें फिल्म ही बांधे रख सकती है, और कुछ नहीं. राजनीति में मनोज वाजपेयी की एक विशिष्ट भूमिका है और यह फिल्म पूरे भारत में 4 जून को रिलीज होने जा रही है.