इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017 के समापन सत्र में फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने शिरकत की. उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी से फैशन जगत से जुड़े विभिन्न विषयों और पर्सनल लाइफ पर बात की. सब्यासाची की जुबानी जानते हैं उनकी दिलचस्प बातें.
इंटरनेट की वजह से क्रिएटिविटी की मांग काफी बढ़ी है. इंटरनेट ने
लोगों को कॉन्फिडेंट कंज्यूमर बनाया है. समाज में मीडियॉकर लोग ज्यादा हैं,
इसलिए लोगों को ऑथेंटिक रहना होगा. मुखर्जी ने कहा भारतीय कस्टमर के साथ समस्या ये है कि वह ड्रेस के बारे में
पूछता है कि इसमें दूसरा कलर नहीं है क्या? ये बॉर्डर इस साड़ी में नहीं
है क्या? ये ब्लाउज स्लीवलेस नहीं है? इसे कस्टमाइजेशन कहा जाता है, लेकिन
हम इसे बास्टर्डाइजेशन कहते हैं.
संजय लीला भंसाली के फैशन से लगाव और उनकी फिल्मों में दिखाए जाने
वाले लग्जरी कॉस्ट्यूम पर सब्यासाची ने कहा, 'मैं और भंसाली दोनों अतिवादी
हैं. भंसाली थियेट्रिकल हैं और मैं रियलिस्टिक. मेरे लिए डिप्रेशन जुकाम की तरह है. यदि डिप्रेशन है तो नॉर्मल हूं. इसके
कई कारण है. ये हर इंसान में होता है. मैं इतना डिप्रेशन में रहा कि सुसाइड
की भी कोशिश कर चुका हूं. ये सब एडजस्टमेंट प्रॉब्लम के कारण हुआ, क्योंकि
मैं एक आदर्शवादी दुनिया से आया हूं.'
वे कहते हैं, 'मैं अभी भी किराए के घर में रहता हूं. सामान्य जीवन जीता हूं. मैं ऐसे
परिवार से आया हूं, जहां मूल्यों की कीमत है. मेरे पिता सामान्य जीवन जीते
हैं. सोना मेरे लिए लग्जरी है, क्योंकि मुझे सोने के लिए ज्यादा टाइम नहीं
मिलता. एक आउडसाइडर के रूप में मेरी योजनाओं के चलते मैं फैशन जगत में सफल
रहा.'
वे कहते हैं, मेरा ब्रैंड नॉस्टेल्जिया में डूबा है, क्योंकि आज हमारे पास गुजरे खूबसूरत समय को वापस लाने के लिए समय नहीं है. लग्जरी वो है, जो रेयर हो. आज के समय में सबसे ज्यादा रेयर समय है.
सब्यासाची कहते है, 'मैं अच्छा स्टूडेंट रहा हूं. मेरे गणित में 98 फीसदी नंबर थे. मैं हमेशा
अल्हड़ किस्म का इंसान रहा. मेरी कभी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रहीं.' आगे सब्यासाची कहते हैं, 'मैं चैरिटी नहीं करता, क्योंकि ये सस्टेनेबल नहीं है. मुझे लगता है
कि इसकी बजाय रोजगार के अवसर पैदा किए जाने चाहिए. मेरी कंपनी में 4 हजार
से ज्यादा कर्मचारी हैं. हमारा लक्ष्य होता है कि हम हर साल 20 फीसदी
रोजगार के अवसर पैदा करें.'
बकौल सब्यासाची, 'मैंने एक स्क्रिप्ट लिखी थी. ये कोलकाता पर थी. मैं कई फाइनेंशर्स से
मिला, लेकिन बात नहीं बनी. यदि मैं पैसा सेव कर पाया तो अगले तीन साल में
फिल्म बनाऊंगा.'
मौजूदा दौर के बारे में सब्यासाची कहते हैं, 'आज हर कोई टाइमलेस और ट्रेडिशनल चीजों में इन्वेस्ट कर रहा है. फैशन आज स्टाइलिश में बदल गया है. दो तरह के कस्टमर हैं, एक वे जो ब्रैंड खरीदना चाहते हैं, क्योंकि
वे इसमें भरोसा करते हैं और दूसरे वे जो बस सिर्फ ब्रैंड खरीदना चाहते हैं. महिलाएं आज अपनी बॉडी को लेकर ज्यादा कंफर्टेबल हैं. फैशन के बिजनेस में एक बात अनिवार्य है, आप कस्टमर की असुरक्षा को दूर
करके पैसा बनाते हैं. फैशन में सस्ते के लिए कोई गुंजाइश नहीं होती.'
उनका मानना है कि भारत दो भागों में बंटा है. एक 'मैं भारत प्यार करता हूं' और दूसरा 'मैं असमंजस में हूं कि मैं भारतीय होना चाहता हूं या नहीं'.
सब्यासाची कहते हैं, 'जब आप अपने काम में भरोसा करने लगते हैं तो दुनिया साजिश करने के लिए इकट्ठी हो जाती है.'
सेंसुअलिटी एक धीमा जलने वाला बर्नर है. मेरा भरोसा एक ऐसे ब्रैंड
को खड़ा करने में रहा है, जो सेंसुअलिटी को सेलिब्रेट करता हो. मैं हर समय कुछ न कुछ क्रिएट करता रहता हूं. मैं सुबह सात बजे ऑफिस पहुंचता हूं और रात दो बजे तक काम करता हूं.