रोमांस और स्पोर्ट्स के अलावा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में जो सब्जेक्ट सबसे ज्यादा पॉपुलर रहा है वो है 'मां'. अपने बच्चों के लिए एक मां के प्यार को कई फिल्मों में
अलग-अलग तरीके से बखूबी दर्शाया गया है.
पेश है कुछ ऐसी हिंदी फिल्मों की झलक जिनकी हिट कहानियां मातृत्व के प्लॉट पर बुनी गई थीं....
दीवार: साल 1975 की इस सुपरहिट फिल्म में एक ऐसी मां की कहानी थी जो सिंगल पैरेंट होते हुए अपने एक बेटे को तो अच्छे संस्कार देकर पुलिस अफसर बना
देती है, लेकिन उसका दूसरा बेटा क्राइम के रास्ते पर चलकर डॉन बनता है. ऐसे में दोनों भाइयों के बीच उसूलों की लड़ाई में कैसे अकेली मां पिसती है, इसने दर्शकों के
रोंगटे खड़े कर दिए थे. पॉपुलर डायलॉग 'मेरे पास मां है' ने इस फिल्म में जान दाल दी थी.
निल बटे सन्नाटा: साल 2016 में आई डायरेक्टर अश्विनी अय्यर तिवारी की इस फिल्म में लीड रोल में नजर आईं एक्ट्रेस स्वरा भास्कर. कहानी एक विधवा के बारे
में थी जो दिन-रात एक कामवाली के तौर पर काम करती है ताकि अपनी बेटी (रिया शुक्ला) को पढ़ा-लिखाकर एक अच्छा भविष्य दे सके.
मदर इंडिया: 1957 की यह सुपरहिट ड्रामा फिल्म महबूब खान ने डायरेक्ट की थी. फिल्म में लीड रोल में थे नरगिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार.
फिल्म की कहानी गरीबी और लाचारी से जूझती गांव की रहने वाली एक औरत राधा पर आधारित थी जो अपने पति के साथ न होने पर अपने बच्चों की परवरिश के
लिए तमाम तकलीफें उठाती है. इस फिल्म ने एक आइडियल इंडियन वुमन को दर्शाते हुए मां को भगवान का दर्जा डे डाला.
करण-अर्जुन: साल 1995 में आई डायरेक्टर राकेश रोशन की इस फिल्म में एक्ट्रेस राखी ने एक ऐसी मां का किरदार निभाया था जिसे अपनी ममता पर इतना
विश्वास होता है कि उसके मरे हुए दोनों बेटे पुनर्जन्म लेकर उसके पास लौटकर आते हैं. सलमान खान और शाहरुख खान फिल्म में लीड रोल में थे. फिल्म 75 हफ्तों
तक सिनेमाघरों में लगी रही और तमाम बेटे अपनी मां के लिए गुनगुनाते रहे 'ये बंधन तो प्यार का बंधन है.'
ममता: सुचित्रा सेन की साल 1966 की यह पॉपुलर फिल्म नेशनल अवॉर्ड विनर एक बंगाली फिल्म की हिंदी रीमेक थी. फिल्म में बहुत खूबसूरती से यह दिखाया था कि
अपनी बेटी को सुरक्षित रखने के लिए एक मां क्या-क्या करती है.
तारे जमीं पर: साल 2007 की यह सुपरहिट फिल्म एक ऐसी असहाय मां (टिस्का चोपड़ा) से शुरु हुई थी जो अपने पति और सोसाइटी से इतनी ज्यादा प्रभावित है कि
अपने छोटे बेटे (दर्शील सफारी) को घर से दूर एक हॉस्टल में भेज देती है. बाद में उस बच्चे को मिलता है एक ऐसा टीचर (आमिर खान) जो उस बच्चे की डिस्लेक्सिया
की बीमारी को समझकर उसके मात-पिता को सारा हाल बयान करता है.
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे: साल 1995 की यह सुपरहिट फिल्म आज भी ऑडियंस के जेहन में ताजी है. फिल्म में एक ट्रेडिशनल मां को दिखाया था जो अपने
पति को हमेशा सपोर्ट करती है और उसने अपनी बेटियों को हमेशा सही संस्कार दिए हैं. लेकिन जब उसकी बेटी अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती है तो वो
अपनी बेटी की पसंद परखने के बाद उसे सपोर्ट करती है.
संजोग: साल 1985 में आई इस फिल्म ने एक्ट्रेस जया प्रदा को सुपरस्टार का दर्जा दिलवाया था. फिल्म की कहानी इस प्लॉट पर टिकी थी कि एक बेटी भी अपनी
मां के लिए बलिदान और त्याग दे सकती है.