बॉलीवुड में जब होली की बात की जाती है तो सबको राज कपूर के जमाने की होली याद आ जाती है. ये होली बड़ी धूमधाम से आरके स्टूडियो में मनाई जाती थी. इसकी शुरुआत पृथ्वीराज कपूर ने की थी. ये होली का जश्न राज कपूर के समय तक चला.
आरके स्टूडियो की होली का सबको इंतजार रहता था. जिसे राज कपूर के यहां से होली में शामिल होने का मौका मिलता था, उसे बड़ा कलाकार माना जाता था.
आरके स्टूडियो के इस होली के जश्न में नरगिस, वैजयंती माला, हेमा मालिनी, धर्मेन्द्र, दिलीप कुमार, मनोज कुमार, राजेंद्र कुमार, जीतेंद्र, दारा सिंह, राकेश रोशन, प्राण, ज़ीनत अमान, मिथुन, राजेश खन्ना, प्रेमनाथ, अमिताभ, अनिल कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, राखी, रेखा, श्रीदेवी जैसे कलाकार शामिल होते थे.
लेकिन एक सुपरस्टार इस होली में शामिल नहीं होता था, वह थे देव आनंद. दरअसल, इसकी वजह कोई नाराजगी नहीं, बल्कि उन्हें होली खेलना पसंद नहीं था. इसलिए वे इसमें शामिल नहीं होते थे.
देव आनंद से आने की जिद कभी राज कपूर ने भी नहीं की. होली के दिन शाम को राज कपूर से मिलने किन्नर आते थे. वे उनके साथ होली का जश्न मनाते थे.
इस होली समारोह में सभी को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता था. अपनी असफलता का दौर देख रहे अमिताभ बच्चन से जब राज कपूर ने अपना टैलेंट दिखाने को कहा तो उन्होंने 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' गाना गाया. इसके बाद वहां समां बंध गया.
बाद में ये गाना उनकी ही आवाज में यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला में इस्तेमाल किया गया.
1988 में राजकपूर के निधन के साथ ही होली का ये सेलिब्रेशन खत्म हो गया.