पूरे 13 साल और एक महीने के बाद रूस के कीव श्रेणी वाले विमान वाहक युद्धपोत एडमिरल गोर्श्कोव को भारत की नौसेना में आईएनएस विक्रमादित्य के तौर पर 16 नवंबर 2013 को शामिल कर लिया.
एडमिरल गोर्श्कोव की ख़रीद के लिए भारत ने रूस के साथ बातचीत अक्तूबर 2000 में शुरू की थी.
आईएनएस विक्रमादित्य 2.3 अरब डॉलर का है.
रक्षामंत्री एके एंटनी ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को रूसी प्रधानमंत्री दमित्रि रोगोजिन तथा दोनों देशों की सरकारों एवं नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया.
आईएनएस विक्रमादित्य कीव श्रेणी का विमानवाही पोत है जिसे वर्ष 1987 में बाकू नाम से रूसी नौसेना में शामिल किया गया था.
उसका नामकरण बाद में एडमिरल गोर्शकोव कर दिया गया था.
भारत को इसकी पेशकश किए जाने से पहले इसने वर्ष 1995 में रूस में अपना आखिरी सफर किया था.
44,500 टन वजनी युद्धपोत की लंबाई 284 मीटर है.
इस पर मिग-29के नौसेना लड़ाकू विमान के साथ ही कामोव 31 और कामोव 28 पनडुब्बी रोधी और समुद्री निगरानी हेलीकॉप्टर तैनात रहेंगे.
इसे भारत की नौसैनिक क्षमता को बढ़ाने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है.
इसे 1987 में पहली बार 'बाकू' के नाम से रूस की नौसेना में शामिल किया गया था.