उन्नीस ही रही 'यमला पगला दीवाना-2'
कलाकार: धर्मेंद्र, सनी देओल, बॉबी देओल, नेहा शर्मा, क्रिस्टीना अखीवा
डायरेक्टर: संगीत शिवन
बॉलीवुड को यह बात समझनी होगी कि अच्छी कहानी के अभाव में फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चमत्कार नहीं कर सकती है. कहानी के मामले में 'यमला पगला दीवाना-2' कुछ चूकती हुई मालूम होती है. फिल्म से काफी उम्मीदें थीं लेकिन संगीत शिवन चूकते नजर आते हैं. तीनों बाप बेटों धर्मेंद्र, सनी और बॉबी को एक साथ देखना वाकई मजेदार है और उनसे धमाल की अपेक्षा तो रहती ही है, लेकिन 'यमला पगला दीवाना' (2011) और अपने (2007) जैसी हिट फिल्में देने वाली यह जोड़ी कहानी के अभाव में रंग नहीं जमा पाती. पंजाब के तीनों पुत्तर अपने चार्म के बल पर फिल्म आगे बढ़ाते नजर आते हैं. लेकिन खराब पटकथा ने निराश किया.
कहानी में कितना दम
धरम (धर्मेंद्र) और गजोधर (बॉबी देओल) बदस्तूर ठगी का काम कर रहे हैं. परमवीर सिंह (सनी देओल) को बेवकूफ बनाते हैं. बेतुकी बातें करते हैं, जिन पर हंसी कम आती है. उन्हें योगराज खन्ना (अनु कपूर) के रूप में एक बकरा मिलता है. उसकी दो बेटियां हैं नेहा शर्मा और क्रिस्टीना अखीवा, औऱ फिर प्रेम का चक्कर. डबल रोल का खेल. एक समझदार ओरांगगोटान (आइंस्टीन) और एक बेवकूफ विलेन. ओरांगोटान पेंटिंग बना डालता है. सलमान खान फैक्टर भी है. कहानी कहीं भी नहीं है, कुछ ऐसा लगता है कि डायरेक्टर सिर्फ सीन जोड़-जोड़कर कहानी पिरोने की कोशिश कर रहे हैं. फिल्म से कोई कनेक्शन नहीं बन पाता है.
स्टार अपील
सनी देओल सरदार के रोल में अच्छे लगते हैं. इस फिल्म को उनके एक्शन अवतार में वापसी के तौर पर देखा जा सकता है. उन्होंने फिल्म में कई अच्छे एक्शन सिक्वेंस किए हैं लेकिन कहानी के अभाव में मजा नहीं आ पाता. धर्मेंद्र की ऐक्टिंग बेहतरीन है, लवर बॉय के रोल में बॉबी देओल अच्छे लगे हैं, लेकिन कहानी में किसी के लिए भी कुछ ऐसा नहीं है कि वे खुद को दर्शकों से कनेक्ट कर सकें. अनुपम खेर सिरदर्द हैं, जॉनी लीवर कुछ कोशिश करते नजर आते हैं. ओरांगोटान कुछ सीन्स में हंसी दिलाता है, लेकिन ऐसे मौके कम आते हैं.
कमाई की बात
लगभग ढाई घंटे की इस फिल्म को देखते हुए एक समय पर ऐसा लगता है कि यह कब खत्म होगी. कुछ एक्शन सीन अच्छे लगते हैं, लेकिन कहानी के उनसे रिलेट नहीं हो पाने की वजह से मजा नहीं आ पाता और हॉल में कम तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई पड़ती है. लेकिन बच्चे जरूर कुछ सीन्स पर तालियां बजाते हैं. फिल्म का संगीत अच्छा है. अगर इसकी तुलना 'यमला पगला दीवाना-1' से की जाए तो यह पार्ट उन्नीस ही रहा. फिल्म सिंगल स्क्रीन में कुछ चमत्कार कर सकती है लेकिन सब वर्ड ऑफ माउथ पर डिपेंड करेगा.