हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की मशीनरी का एक बड़ा मजेदार पहलू ये भी है कि कॉलेज में अपने ग्रेजुएशन के कुछ साल बिताने वाले हर दो बैच को अपनी एक यंग लव स्टोरी वाली यादगार फिल्म मिलती रही है. इस फिल्म में एक बड़ी रोमांटिक सी कहानी होती है, इंडस्ट्री में कदम रखने जा रहे दो नए चेहरे होते हैं और मिलते हैं ढेर सारे प्यारे गाने. ऐसे ही यंग बैच को कभी ऋषि कपूर-डिंपल कपाड़िया की 'बॉबी' मिली थी. किसी को सलमान खान-भाग्यश्री की 'मैंने प्यार किया' है मिली और किसी को 'कहो ना प्यार है'.
इन आइकॉनिक फिल्मों के अलावा यंग कॉलेज क्राउड को 'जाने तू या ना जाने ना', 'आशिकी 2' और 'एक विलेन' जैसी फिल्में भी मिलीं. आखिरी दो फिल्मों के डायरेक्टर मोहित सूरी अब 'सैयारा' लेकर आए हैं. 2000s के दौर से म्यूजिकल लव स्टोरीज डिलीवर करते आ रहे मोहित ने 'सैयारा' प्रमोट करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि 'लोग कितना भी वक्त ऑनलाइन बिता लें, उन्हें किसी का हाथ थामने की जरूरत महसूस होती ही रहेगी.'
उनकी इस बात को ध्यान में रखते हुए ही फिल्म देखी भी गई और ये पाया गया कि 'सैयारा' सच में दिल से यंग मगर इमोशन में गंभीर और खूबसूरत गानों से भरी वो फिल्म है जिसके मूड में थिएटर्स में बैठे हुए आपको किसी का हाथ थामने की जरूरत महसूस होती है.
क्या है 'सैयारा' का प्लॉट?
इस कहानी की नायिका वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) हैं जिनका दिल टूट चुका है. और हीरो हैं कृष कपूर (अहान पांडे) जो अपने सपने जोड़ने निकले हैं. हर अच्छी लव स्टोरी की तरह वाणी और कृष की शुरुआत भी संयोग से बुने हुए एक मीट-क्यूट मोमेंट में होती है. सिनेमा की जुबान में मीट-क्यूट, रोमांटिक कहानियों में घटने वाला वो खगोलीय संयोग होता है जब बिना किसी पूर्व भूमिका एक हीरो-हीरोइन एक दूसरे से टकरा जाते हैं. जैसे- हीरो की सीट पर हीरो का रुमाल छूट जाना.
'सैयारा' के मीट-क्यूट मोमेंट में एक डायरी शामिल है, ये अपने आप में एक बड़ी खूबसूरत चीज है. लव स्टोरीज में ना ऐसी छोटी-छोटी प्यारी चीजें बहुत मैटर करती हैं और अगर ये सही से की जाएं तो माहौल अपने आप गुलाबी होने लगता है. खैर, 'सैयारा' का मीट क्यूट मोमेंट जल्द ही मोहित सूरी के उस फिल्मी टेम्पलेट में चला जाता है जहां कृष दुनिया के हर एक्शन का जवाब गुस्से भरे रिएक्शन से दे रहा है. अपने हार्टब्रेक से मूव-ऑन कर रही वाणी को जब भी अपने इमोशंस की किताब खोलनी होती है, तो उसका वही उदास पन्ना खुलता है जहां उसका दिल टूटा था.
कृष कपूर एक उभरता हुआ मगर टैलेंटेड सिंगर है जो अपना नाम बनाने के लिए, अपने सुरों को पहचान दिलाने के लिए और भीड़ से अपना नाम सुनने के लिए स्ट्रगल कर रहा है. इस रास्ते के दरवाजे एक गाने से खुल सकते हैं और कृष के पास एक अच्छी धुन भी है मगर लिरिक्स नहीं हैं. वाणी के पास शब्दों की कमी नहीं है और वो इमोशंस को सहेजना, उन्हें सुरों के रंग देकर कविता में बदलना जानती है. बस, हालात इन दोनों को मिला देता हैं और एक सच्चे सेन्स में एक म्यूजिकल लव स्टोरी शुरू हो जाती है.
प्यार वो गांव है जिसके बसते ही किस्मत एक लुटेरे की तरह हथियार में धार लगाकर तैयार हो जाती है. और मोहित सूरी की फिल्मों में तो कभी कोई बिमारी, कभी कोई सीरियल किलर और कभी हीरो की पिछली जिंदगी लव स्टोरीज में किस्मत का हथियार बनती रहे हैं. 'सैयारा' में किस्मत ने लव स्टोरी पर किस हथियार से वार किया है, ये ट्रेलर में नहीं है इसलिए हम भी नहीं बता सकते, सॉरी. मगर इतना जरूर है कि ये कहानी को एक बहुत सीरियस और इमोशनल हुक दे देता है जिसपर टंगे हुए आप अंत तक 'सैयारा' के साथ बने रहते हैं.
कैसी बन पड़ी है फिल्म?
मोहित सूरी के सीवी में ऐसी कई फिल्में हैं जो उन्हें लव स्टोरीज हैंडल करने के लिए एक परफेक्ट डायरेक्टर बनाती है. 'सैयारा' में संकल्प सदाना और रोहन शंकर की लिखी प्यारी, इंटेंस, इमोशंस से भरपूर और दिल में उतरने वाली कहानी को मोहित सूरी ने जिस खूबसूरती से म्यूजिक में बांधकर पर्दे पर उतारा है, वो थिएटर्स में जाकर फील करने लायक है.
ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगा था कि इस फिल्म का रिव्यू करने के लिए कॉलेज से निकलकर ताजे-ताजे हमारी टीम में शामिल हुए नए 'बच्चे' बेहतर चॉइस हैं. मगर सिचुएशन ऐसी घूमी जैसे 'सैयारा' से मेरा मीट-क्यूट मोमेंट भी मोहित सूरी ने डायरेक्ट किया है. हर हफ्ते कई-कई फिल्में देखकर घिस चुके हमारे दिमागों पर एक वक्त बाद लव स्टोरीज वाली फिल्में थोड़ा कम असर करती हैं.
मगर 'सैयारा' ने मुझे सरप्राइज किया. ये फिल्म फिर से उस दौर में ले आती है जहां मोहित सूरी की ही बनाईं 'आवारापन', 'आशिकी 2' या 'एक विलेन' जैसी फिल्में दिल पर असर कर रही थीं. इन फिल्मों की ही तरह 'सैयारा' भी बीत चुके कल की चोटों पर मरहम लगाकर, एक खूबसूरत दुनिया के लिए एक-दूसरे को तैयार करते लवर्स की कहानी है.
इस फिल्म में भी दो वल्नरेबल यंग प्रेमियों के प्यार के साथ उदासी के मिक्सचर वाली प्यारी कहानी है. और आधा दर्जन से ज्यादा कंपोजर्स ने मिलकर जो म्यूजिक बनाया है वो इस 'सैयारा' को थिएटर्स में महसूस करने लायक एक बेहतरीन एक्सपीरियंस बना देता है. फिल्म का टाइटल ट्रैक और दूसरे गाने तो जमकर पॉपुलर हो ही चुके हैं. मगर श्रेया घोषाल का गाया टाइटल ट्रैक का वर्जन जो फिल्म के अंत में आता है, अद्भुत है.
हर फिल्म की तरह 'सैयारा' में भी दिक्कते हैं. कुछ जगह फिल्म की पेस में निरंतरता की कमी लगती है. कुछ जगह सीन्स उतने इफेक्टिव नहीं लगे जितने हो सकते थे. कुछ जगह एक्टर्स की अनुभवहीनता भी दिखी मगर इनमें से कुछ भी इतना भारी नहीं है कि फिल्म का ओवरऑल अनुभव खराब करे. यहां देखें 'सैयारा' का ट्रेलर:
कैसा है दोनों न्यूकमर्स का काम?
मोहित ने हमेशा अपने एक्टर्स को बहुत घिसा है. उनकी इंटेंस कहानियों के गंभीर इमोशनल संसार में अपने पैरों पर खड़े रहना हर एक्टर के बस की बात नहीं होती. ऐसे में दोनों खूबसूरत न्यूकमर्स अहान पांडे और अनीत पड्डा के काम के लिए सम्मान थोड़ा बढ़ जाता है. दोनों ही एक्टर्स इमोशंस को पूरी गंभीरता के साथ जीते नजर आते हैं.
अहान को कुछ सीन्स में देखकर ऐसा जरूर लगा कि उन्हें थोड़ा और पॉलिश किए जाने की जरूरत है. कुछेक सीन्स में दोनों के ही काम में थोड़ी सी कमजोरी भी नोटिस होती है. मगर अनीत की परफॉरमेंस में उनकी पहली फिल्म के लिहाज से काफी ज्यादा मैच्योरिटी नजर आई. उनके हिस्से फिल्म के सबसे चैलेंजिंग एक्टिंग वाले पोर्शन आए भी हैं.
कुल मिलाकर 'सैयारा' थिएटर्स में देखने लायक लव स्टोरी है जिसकी कहानी की इंटेंसिटी और म्यूजिक दमदार फील देते हैं. यंग ऑडियंस को फिल्म बहुत अपील करेगी और जिन्हें बॉलीवुड की लव स्टोरीज से लंबे समय से निराशाएं हाथ लग रही हैं वो अपने दिल को थोड़ा खोलकर देखें तो 'सैयारा' असर करेगी.