फिल्मः हमशकल्स
स्टारः 2
कलाकारः सैफ अली खान, रितेश देशमुख, राम कपूर, तमन्ना भाटिया, बिपाशा बसु और ईशा गुप्ता
डायरेक्टरः साजिद खान
कहते हैं जब ट्यूनिंग बिगड़ती है तो अच्छे-अच्छे पटरी से उतर जाते हैं. ऐसा ही कुछ साजिद खान का भी हाल है. साजिद खान हमेशा से बड़बोलेपन का शिकार रहे हैं. फिल्म समीक्षकों को कोसना उनकी आदत है. लेकिन वे एक बार फिर 'नो मर्सी' के लिए तैयार रहें क्योंकि वे फिर से चूकते नजर आ रहे हैं. हिम्मतवाला के बाद लग रहा था कि साजिद अपनी फिल्ममेकिंग में कुछ बदलाव लाएंगे और हमेशा समीक्षकों को हल्के में लेने वाले साजिद कम से कम दर्शकों को हल्के में नहीं लेंगे, लेकिन इस बार उन्होंने उनके साथ भी इमोशनल अत्याचार कर दिया है. अक्षय के सात हे बेबी और हाउसफुल 1-2 देने के बाद वे अपनी लय खोते नजर आ रहे हैं. उन्होंने फिल्म के जरिये दर्शकों को हंसाने-गुदगुदाने की कोशिश की है. लेकिन फिल्म में पुराने वाले साजिद खान की टाइमिंग पूरी तरह मिसिंग है. हालांकि उन्होंने मासेज को टारगेट करके फिल्म बनाई है लेकिन स्टारकास्ट ऐसी है जो एकदम से कनेक्ट नहीं करती है. कहानी कमजोर है.
कहानी में कितना दम
एक मामा (राम कपूर) है और उसका करोड़पति भांजा (सैफ अली खान) है. मामा जायदाद हथियाना चाहता है और अपने भांजे को रास्ते से हटाना चाहता है. बस वह अपने भांजे को रास्ते से हटाने के लिए उसे और उसके दोस्त (रितेश) को ऐसी दवाई देता है कि वह एक दिन के लिए कुत्तों की तरह व्यवहार करते हैं. बस, फिर पहुंच जाते हैं पागलखाने और वहां उनके हमशकल्स होते हैं. बस, सारी गड़बड़ यहीं से शुरू होती है. वैसे भी हमारे देश में मान्यता है कि तीन शुभ नहीं होते हैं. अब साजिद के मामले में भी ऐसा ही लग रहा है. पूरी फिल्म ऐसी लगती है कि बिना डायरेक्टर और कहानी के अपने आप ही चल रही है. बिना किसी दिशा के. कहानी के मोर्चे पर फिल्म निराश करती है. हालांकि राम कपूर और रितेश हंसाने की कोशिश करते हैं और एक-आध सीन में कामयाब भी हुए हैं.
स्टार अपील
सैफ अली खान किसी भी सीन में दिल में उतरते नहीं हैं और हंसाते तो बिल्कुल भी नहीं हैं. अक्षय का दामन छोड़कर साजिद यहां-वहां सितारों से हिट फिल्म की तलाश में लगे हैं, लेकिन लगता नहीं है कि उन्हें कहीं से सहारा मिल पा रहा है. रितेश देशमुख और राम कपूर कुछ सीन्स में अच्छे लगते हैं. जहां तक हीरोइनों बिपाशा बसु, तमन्ना भाटिया और ईशा गुप्ता की है तो उनमें ऐसी कोई बात नहीं है कि वे हंसा सकें. वे सिर्फ ग्लैमर के लिए हैं. कुल मिलाकर कहानी में दम न होने की वजह से सितारे बेअसर लगते हैं.
कमाई की बात
फिल्म की लागत 55 करोड़ रुपये बताई जा रही है. यानी फिल्म को पहली दरकार जबरदस्त ओपनिंग लगने की है क्योंकि वीकेंड ही फिल्म का भाग्य तय करता है. लेकिन फिल्म की हालत को देखकर इसके फायदे में जाने की उम्मीद काफी कम नजर आ रही है. जैसा साजिद खान कहते हैं कि वे मासेज के लिए फिल्म बनाते हैं. अगर ऐसा है तो फिल्म कामयाब हो सकती है. अब देखें मासेज और यूथ फिल्म से किस तरह कनेक्ट करते हैं.