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Cadets Review: पुरानी कहानी में नया तड़का है कैडेट्स, सीरीज देखकर भन्ना जाएगा सिर

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में हर दूसरे महीने आर्म फोर्स पर आधारित फिल्म और सीरीज रिलीज होती रहती हैं. इस लिस्ट में अब कैडेट्स का नाम भी शुमार हो चुका है. कैडेट्स की कहानी आपको 1998 के दौर में ले जाती है. सीरीज देखने से पहले पढ़ें रिव्यू.

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कैडेट्स रिव्यू
कैडेट्स रिव्यू
फिल्म:ड्रामा
2/5
  • कलाकार : तनय छेदा, चायन चोपड़ा, तुषार शाही, गौतम गुज्जर
  • निर्देशक :विश्वजॉय मुखर्जी

काफी दिनों से जियो सिनेमा की सीरीज कैडेट्स का इंतजार था. सीरीज आर्म फोर्स एकेडमी जॉइन करने वाले युवाओं की कहानी है. कैडेट्स 30 अगस्त को जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हो चुकी है. सीरीज देखने से पहले पढ़ें इसका रिव्यू. 

क्या है कहानी?

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में हर दूसरे महीने भारतीय सेना पर आधारित फिल्म और सीरीज रिलीज होती रहती हैं. इस लिस्ट में अब कैडेट्स का नाम भी शुमार हो चुका है. कैडेट्स की कहानी आपको 1998 के दौर में ले जाती है. ये वही साल था जब पुणे की फिक्शनल सशस्त्र सेना एकेडमी में कुछ युवा पूरे जोश के साथ आर्मी की ट्रेनिंग लेने के लिए आते हैं.  

सीरीज की कहानी मनोज मित्रा (तनय छेदा), अल्बर्ट मारक (तुषार शाही), नीरज तोमर (गौतम गुज्जर) और रणधीर धनुआ (चायन चोपड़ा) चार अलग-अलग किरदारों के ईद-गिर्द घूमती है. इन चारों ने बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना देखा होता है. आर्म एकेडमी जॉइन करने के बाद इन चारों को ही कई टास्क और मुसीबतों से गुजरना पड़ता है. इस दौरान इनमें प्यार भी होता है और झगड़े भी. आगे की कहानी जानने के लिए आपको सीरीज देखनी होगी. 

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कैसी है एक्टिंग?

सीरीज आर्मी जॉइन करने वाले यंग लड़कों की कहानी पर आधारित है. ये चारों ही सीरीज में एक सैनिक के रूप में फिट नहीं दिखते हैं. स्क्रीन पर इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि जैसे 11वीं या 12वीं क्लास के बच्चों ने आर्मी जॉइन कर ली हो. ये सभी अच्छे एक्टर हैं, जिनकी एक्टिंग में दम है, लेकिन ना जाने क्यों ये चारों ही कैडेट्स के कैरेक्टर्स में फिट नहीं बैठते हैं. हालांकि, इन चारों ने सीरीज में अपना काम पूरी ईमानदारी से किया है. 

कहां रह गई कमी?

जब आप किसी फिल्म का ट्रेलर देखते हैं, तो कई वो देखने में इंप्रेसिव होता है. पर जब फिल्म रिलीज होती है, तो इसकी कहानी दिमाग का दही कर देती है. कैडेट्स की कहानी भी कुछ ऐसी है. आर्म फोर्स पर अब तक इतनी बेहतरीन सीरीज बन चुकी हैं कि कैडेट्स देखने के बाद मन में यही सवाल आता कि इसे क्यों बनाया है. सीरीज की कहानी हो या सिनेमैटोग्राफी सब कुछ कमजोर सा लगता है. आर्म अकादमी पर आधारित सीरज में रोमांस भी देखने को मिलता है, जिसकी कोई जरूरत नहीं लगती है. सीरीज में एक भी एपिसोड ऐसा नहीं है, जो आपको स्टोरी लाइन से कनेक्ट करता है. पहले ही एपिसोड की शुरुआत इतनी बोरिंग है कि इसे आगे बढ़ाने की हिम्मत नहीं होती है. 

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विश्वजॉय मुखर्जी द्वारा निर्देशित सीरीज आर्म फोर्स में दी जाने वाली ट्रेनिंग और सजा पर बेस्ड है. सीरीज में 8 एपिसोड हैं. एक एपिसोड 25 से 30 मिनट तक का है. अगर आप उम्मीदों के साथ इस सीरीज को देखेंगे, तो निराशा ही मिलेगी. बाकी वीकेंड पर इसे देखना और ना देखना आपकी मर्जी है. 

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