हिंदी बेल्ट के थिएटर्स में इन दिनों दो फिल्मों के बीच जो टक्कर चल रही है, वो लॉकडाउन के बाद से दर्शकों की स्वाद स्पष्ट बता रही है. गुरुवार थिएटर्स में एकसाथ दो फिल्में रिलीज हुईं— कांतारा चैप्टर 1 और सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी. पहली कन्नड़ इंडस्ट्री की पैन इंडिया फिल्म है और गुरुवार को इसे सॉलिड ओपनिंग मिली.
दूसरी तरफ 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' इसके सामने कम स्क्रीन्स पर रिलीज हुई. फिर भी अनुमानों के मुकाबले इसकी कमाई बेहतर रही. मगर उसके बाद जो हुआ वही ऑडियंस का मूड बताता है.
कैसी चल रही 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' की कमाई?
'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' को पहले 'कांतारा चैप्टर 1' के सामने एक कमजोर फिल्म माना जा रहा था. मगर बुधवार सुबह से इसकी एडवांस बुकिंग ने रफ्तार पकड़ी तो कुछ उम्मीद नजर आई. 'कांतारा चैप्टर 1' (हिंदी) के सामने इसकी स्क्रीन्स की गिनती लगभग 60% ही थीं. मगर फिर भी इसने 10 करोड़ रुपये से ज्यादा ओपनिंग कलेक्शन करके सरप्राइज कर दिया. स्क्रीन्स के हिसाब से ये एक अच्छी शुरुआत थी. मगर इस सॉलिड ओपनिंग के बाद नजर आया जनता का खेल.
जहां 'कांतारा चैप्टर 1' को हर तरफ से जमकर पॉजिटिव रिव्यू मिले थे, वहीं दर्शकों का वर्ड ऑफ माउथ भी फिल्म के लिए पॉजिटिव था. ऐसे में शुक्रवार से फिल्म के हिंदी वर्जन ने दम दिखाना शुरू कर दिया जो वीकेंड में भी जारी रहा और अब सोमवार की कमाई में भी नजर आ रहा है. लेकिन इसके ठीक उलट, 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' शुक्रवार को 6 करोड़ ही कमा सकी और स्लो पड़ गई. अनुमान लगाया गया कि अगर शनिवार-रविवार को जनता में फिर से फिल्म देखने की वो जिज्ञासा जगी, जो गुरुवार को थी, तो ये 42-45 करोड़ तक का वीकेंड कलेक्शन कर लेगी.
मगर इसके बाद 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' का कलेक्शन गिरता ही चला गया और दोबारा डबल डिजिट में पहुंचा ही नहीं. इसका वीकेंड कलेक्शन, चार दिन में 32 करोड़ रुपये ही रहा. अब ट्रेड रिपोर्ट्स बता रही हैं कि मंडे को इसका कलेक्शन 3 करोड़ रुपये के आसपास ही रहा है. यानी 5 दिन में इसका नेट कलेक्शन 35 करोड़ रुपये के आसपास ही है. ये ट्रेंड फिर से वही बात पक्की कर रहा है, जो बॉलीवुड फिल्मों के बारे में लॉकडाउन के बाद से ही कही जा रही है.
बदल गए हैं बॉलीवुड के दर्शक
लॉकडाउन के बाद वाले सालों में जनता फॉर्मूला फिल्मों से बचती नजर आ रही है. सलमान खान से लेकर अजय देवगन और अक्षय कुमार की भी वो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फेल हुई हैं, जिनमें किसी एक तरह के फॉर्मूले को दोहराने की कोशिश की गई है. इसमें 'सिकंदर', 'बड़े मियां छोटे मियां' और 'सन ऑफ सरदार 2' जैसी चर्चित फिल्में साबित हैं.
खुद अक्षय कुमार की ही 'केसरी चैप्टर 1' और हाल ही में क्रिटिक्स से तारीफ पाने वाली 'जॉली एलएलबी 3' शामिल हैं. इसके उलट 'सैयारा' एक ऐसा उदाहरण है जो भले फॉर्मूला फिल्म थी मगर ये फॉर्मूला पिछले कई सालों से बड़े स्क्रीन से गायब होता जा रहा था.
करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस में बनी 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' फॉर्मूला सिंपल था— थोड़ा ह्यूमर हो, लव स्टोरी में पंगे हों, कहानी में फैमिली ड्रामा भी होना चाहिए और गाने अच्छे हों. यानी कुछ वैसा मसाला जो इसी फिल्म के डायरेक्टर शशांक खेतान और एक्टर वरुण धवन अपने पिछले कोलेबोरेशन 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया' और 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में कर चुके हैं.
ये फॉर्मूला लॉकडाउन के बाद से, थोड़े बहुत अलग-अलग स्टाइल में 'तू झूठी मैं मक्कार', 'रॉकी रानी की प्रेम कहानी' और 'जरा हटके जरा बचके' में भी आजमाया जा चुका है. यही वजह है कि गुरुवार को मौका देने के बाद दर्शक 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' का साथ छोड़कर 'कांतारा चैप्टर 1' की तरफ भागने लगे. अब देखना है कि करीब 60 करोड़ के बजट में बनी 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' कितना लाइफटाइम कलेक्शन करती है.