ओशो आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन जिस तरह उस दौर में उनके करोड़ों फॉलोअर्स थे उसी तरह आज भी उनके करोड़ों फॉलोअर्स दुनिया भर में उनकी सिखाई बातों को पहुंचा रहे हैं. ओशो के फॉलोअर्स हर उम्र हर तबके के लोग थे. बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना भी ओशो को बहुत मानते थे. विनोद खन्ना ने अपना घर-परिवार छोड़कर ओशो के आश्रम में शरण ले ली थी और उनसे ध्यान के गुर सीखा करते थे. ओशो की डेथ एनिवर्सरी पर हम आपको बता रहे हैं कि क्या था ये पूरा किस्सा.
खबरों की मानें तो विनोद खन्ना पुणे के ओशो आश्रम में कई सालों तक रहे थे. वे ओशो के साथ अमेरिका भी गए और उनकी सेवा में लगे रहते थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि वे ओशो के पर्सनल गार्डन के माली भी बने. वहां उन्होंने उनके वाशरूम और बर्तन तक साफ किए थे.
एक इंटरव्यू में खुद विनोद खन्ना ने कहा था कि अमेरिका के ओशो आश्रम में वे कई साल तक माली रहे और इस दौरान उन्होंने आश्रम में टॉयलेट से लेकर थाली तक साफ की है.
रिपोर्ट्स की मानें तो आश्रम में उनका नामकरण विनोद भारती के रूप में हुआ था. लेकिन जिस मन की शांति के लिए वो अध्यात्म की शरण में गए, वो उन्हें हासिल नहीं हुई. उनके जाने के बाद मुंबई में उसका परिवार बिखर गया था.
विनोद खन्ना ने बताया था कि संन्यास का फैसला उनका खुद का था. यही वजह थी कि उनके परिवार को उनका ये फैसला बुरा लगा. उन्होंने कहा, "मुझे भी दोनों बच्चों की परवरिश की चिंता होती थी, मगर मैं मन से मजबूर था."
विनोद खन्ना ने मन के किसी तनाव के चलते संन्यास लिया था या कोई और वजह थी ये तो कभी साफ नहीं हुआ लेकिन इस सन्यास के साथ ही उनका करियर खराब हो गया.
करियर ही नहीं बल्कि उन्हें अपने परिवार से भी हाथ धोना पड़ा. उनका परिवार ऐसे बिखर गया कि फिर कभी जुड़ नहीं पाया. अमेरिका के ओशो आश्रम में रहते हुए ही पत्नी गीतांजलि से उनका अलगाव हुआ और 1985 में तलाक के साथ ये बात तो खत्म हो गई.
बाद में विनोद ने खुद से 16 साल छोटी कविता दफ्तरी से शादी कर ली. कविता, अमेरिका और यूरोप से पढ़ाई पूरी करने के बाद इंडस्ट्रियलिस्ट पिता सरयू दफ्तरी का बिजनेस संभाल रही थीं.
विनोद खन्ना से कविता की पहली मुलाकात एक पार्टी में हुई थी. प्यार परवान चढ़ा और दोनों ने शादी की. फिल्मी करियर की बात करें तो इसके बाद से उन्हें वो चार्म कभी नहीं मिला जो 70 के दशक में रहता था. मगर उनकी परफॉर्मेंस को हमेशा पसंद किया गया.