देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज हो गया है. यूपी के बाद जिस एक राज्य पर सबसे ज्यादा राजनीतिक पंडितों की निगाह रहनी है वो उत्तराखंड है क्योंकि कभी देश पर एकछात्र राज्य करने वाली कांग्रेस पार्टी अब जिन दो हिंदी भाषी प्रदेशों में सत्ता में है उनमें हिमाचल के बाद उत्तराखंड ही आता है. यहां अगर पिछले दो चुनावों की बात करें तो एक बार बीजेपी तो एक बार कांग्रेस के हाथ सत्ता रही है.
2012 में कांग्रेस ने एक सीट से मार ली थी बाजी
70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा में 2012 में कांटे का मुकाबला हुआ. किसी भी पार्टी में इसमें पूर्ण बहुमत नहीं मिला और कांग्रेस व बीजेपी के बीच दिलचस्प टक्कर देखने को मिली. कांग्रेस ने जहां 32 सीटों पर कब्जा किया तो बीजेपी सिर्फ एक सीट से उससे पीछे रह गई. नतीजा ये हुआ कि 31 सीटों पर जीत के बावजूद बीजेपी को वहां विपक्ष में बैठने को मजबूर होना पड़ा. यहां बीएसपी को तीन तो अन्य को 4 सीटें मिलीं. कांग्रेस ने पहले यहां से विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया तो बाद में हरीश रावत पार्टी के विधायक दल के नेता चुने गए.
2007 में बीजेपी को मिलीं आधी सीटें
2012 के मुकाबले 2007 के चुनावों में जनादेश पूरी तरह स्पष्ट था. 2007 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जहां महज 21 सीटें जीत सकी वहीं बीजेपी को 35 सीटें मिलीं. राज्य में बीजेपी की सरकार बनी. बहुजन समाज पार्टी 8 और अन्य 6 सीटें जीतने में सफल रहे लेकिन सरकार गठन में उनकी भागीदारी 2012 के मुकाबले अहम नहीं रही.