AAP के दिग्गज नेता अरविंद केजरीवाल ने BJP के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में चुनाव लड़ने का मन क्या बनाया, मोदी के विरोधियों की बांछें खिल गई हैं. मोदी की विरोधी सियासी पार्टियां उन्हें वाराणसी सीट पर घेरने के लिए लामबंद होने लगी हैं.
आज तक के कार्यक्रम 'हल्ला बोल' में समाजवादी पार्टी नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि मोदी को रोकने के लिए उनकी पार्टी केजरीवाल का समर्थन कर सकती है. इसके बाद कांग्रेस ने भी वाराणसी सीट पर मुकाबला दिलचस्प बनाने के संकेत दे दिए. कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने भी तुरंत साझा उम्मीदवार उतारने की वकालत कर दी.
अनिल शास्त्री ने ट्वीट किया, 'अगर एसपी-बीएसपी मोदी को हराने के लिए गंभीर हैं, तो उन्हें कांग्रेस के साथ साझा प्रत्याशी उतारना चाहिए.' वैसे सियासी गलियारों में चर्चा छिड़ गई है कि मोदी को रोकने के लिए सबसे विपरीत सियासी गठजोड़ भी करना पड़े, तो करना चाहिए.
मुमकिन है कि धर्मनिरपेक्षता के महान झंडाबरदार मोदी की हार तय करने के लिए 'मित्र राष्ट्र' वाली भूमिका में आ जाएं. उस परिस्थिति में क्या होगा, कहना मुश्किल है.
उधर, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी मोदी के वाराणसी से खड़े होने पर अपनी बेबाक राय दे डाली. लालू ने कहा कि मोदी के लिए वाराणसी सीट 'कब्रगाह' साबित होगी.
वैसे वाराणसी सीट पर मुकाबला रोमांचक बनाने का सबसे पहले संकेत अरविंद केजरीवाल ने रविवार शाम को दिया. दिनभर के सस्पेंस के बाद बैंगलोर के फ्रीडम पार्क में आयोजित रैली में केजरीवाल ने कहा कि पार्टी उन्हें नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ाना चाहती है. उन्हें ये चुनौती मंजूर है, लेकिन मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान वे 23 मार्च को वाराणसी में रायशुमारी के बाद करेंगे. 23 मार्च की वाराणसी रैली में जनता ने अगर उन्हें मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने को कहा, तो वे उसी रैली में वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर देंगे.
रैली में केजरीवाल ने यह भी कहा कि कांग्रेस और बीजेपी के बड़े नेताओं को हराना आम आदमी पार्टी का मकसद है.
दक्षिण भारत की जनसभा में खड़े होकर उन्होंने उत्तर भारत की सबसे चर्चित सीट पर होने वाले संघर्ष के लिए खुद को तैयार तो कर लिया है, लेकिन संभले हुए शब्दों के साथ. केजरीवाल मान रहे हैं कि वाराणसी का चुनावी समर आसान नहीं होगा.
पिछले कुछ दिनों से केजरीवाल मीडिया के सामने कहते फिर रहे हैं कि मोदी नाम की कोई चुनावी हवा इस देश में नहीं बह रही, लेकिन भीतर से उन्हें पता है कि मोदी इस वक्त देश की राजनीति के महारथी हैं. यह दिल्ली का दंगल नहीं है, जहां उन्होंने शीला दीक्षित को परास्त कर दिया था.
पिछले दिनों आम आदमी पार्टी की ओर से लगातार ऐसे संकेत मिलने लगे कि जहां मोदी खम ठोकेंगे, केजरीवाल वहीं से अपनी ताकत तौलेंगे. अंदरूनी खबर यह है कि वाराणसी से मोदी की उम्मीदवारी तय होने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को काशी कूच करने का आदेश दे दिया गया है.
23 मार्च को बनारस में होने वाली बड़ी रैली में केजरीवाल वहां से चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा करेंगे. पार्टी नेता आशुतोष ने भी दोपहर को ही कह दिया कि पार्टी केजरीवाल को वाराणसी से चुनावी मैदान में उतरने के लिए मना लेगी.
सियासी गलियारों में इस जोरदार दंगल पर बहस शुरू हो गई है. आम आदमी पार्टी को विश्वास है कि केजरीवाल मोदी को शिकस्त देंगे. जगदंबिका पाल कह रहे हैं कि ऐसे 'धरतीपकड़ पहलवान' पहले भी ताल ठोकते रहे हैं, मोदी को मात देना कोई मजाक नहीं है.
बीजेपी को भरोसा है कि वाराणसी से मोदी पूर्वांचल में पार्टी के लिए नया सवेरा लेकर आएंगे. केजरीवाल को उम्मीद है कि वे बीजेपी के सबसे बड़े नेता की चुनौती तोड़कर दिल्ली विधानसभा की कहानी लोकसभा में दोहराएंगे, लेकिन अभी दिल्ली दूर है.
बीजेपी ने बहुत आकलन के बाद मोदी को वाराणसी से उतारा है. पार्टी को विश्वास है कि काशी के अलसाए घाटों पर ही बीजेपी का भाग्य जागा.