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केजरीवाल, बेदी को हराने के लिए दिल्ली के चुनावी मैदान में है अन्ना का तीसरा चेला

नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़े रहे डॉ. संजीव छिब्बर से aajtak.in ने मुख्य मुद्दों पर बात की... पेश है केजरीवाल, किरण बेदी और अन्ना के पूर्व सहयोगी संजीब छिब्बर से बातचीत के अंश...

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Sanjeev Chhibbar
Sanjeev Chhibbar

समाजसेवी अन्ना हजारे के आंख और कान रहे अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो ध्रुवों पर खड़े हैं. पूरी बिसात उनके इर्द गिर्द बुनी गई है. हालांकि इस चुनावी परिदृश्य में अन्ना, आंदोलन से जुड़े ट्विस्ट अभी खुलकर सामने नहीं आए हैं. दरअसल अन्ना के एक और सहयोगी और उनके साथ आंदोलन करने वाले एक और शख्स दिल्ली के चुनावी मैदान में है. नया दौर पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजीव छिब्बर का आंदोलन से गहरा नाता रहा है. यूथ फॉर इक्वलिटी और अन्ना आंदोलन खड़ा करने का श्रेय वह लेते हैं. हालांकि केजरीवाल की तरह उन्होंने आंदोलन के रास्ते से हटते हुए राजनीतिक पार्टी बनाई और लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में दूसरी बार कूद पड़े हैं. नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़े रहे डॉ. संजीव छिब्बर से aajtak.in ने मुख्य मुद्दों पर बात की... पेश है केजरीवाल, किरण बेदी और अन्ना के पूर्व सहयोगी संजीब छिब्बर से बातचीत के अंश...

सवालः अन्ना के आंदोलन से जुड़ने के बाद राजनीति में उतरने का विचार कैसे आया?
जवाबः इस देश को मैंने दो बड़े आंदोलन दिए. पहला यूथ फॉर इक्वलिटी और अन्ना आंदोलन, ये दोनों आंदोलन मैंने ही शुरू किया था. लेकिन यह आंदोलन अपने रास्ते से भटक गया, तब हमने राजनीति में उतरने का फैसला किया.

सवालः पार्टी कब बनी, मुद्दे क्या है और कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
जवाबः 2013 में पार्टी बनी और दिल्ली विधानसभा चुनाव में रोटी, कपड़ा, मकान और सबके लिए स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर आठ सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भी पार्टी मैदान में उतरी थी, लेकिन नया दौर पार्टी को ज्यादा सफलता नहीं मिली. इसके बाद पार्टी ने लोकसभा के चुनाव में किस्मत आजमाया और मुरादाबाद में पार्टी के उम्मीदवार को पांच हजार से ज्यादा वोट मिले. इसलिए हम अपनी पार्टी की सफलता के प्रति आशान्वित हैं.

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सवालः आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी लड़ाई को कैसे देखते हैं.
जवाबः हम रोज रोड शो कर रहे हैं और हमारे साथ हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं. मीडिया के एक वर्ग ने हमें भले ही बहुत ज्यादा स्पेस ना दिया हो, लेकिन प्रिंट मीडिया का सहयोग मिला है और लोग हमारे साथ आ रहे हैं.

सवालः नई दिल्ली विधानसभा सीट से आपके अरविंद केजरीवाल की चुनौती है?
जवाबः मेरी किसी से कोई दुश्मनी है. पार्टी की संभावनाओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल बढ़ाने के लिए मैंने नई दिल्ली सीट चुनी है. निजी तौर पर मेरी प्रेस्टिज थी कि मैं दिल्ली की सबसे अहम सीट से चुनाव लड़ूं. इस सीट पर हमारी स्थिति मजबूत है और मतदाताओं के बीच हमारी पकड़ भी है और मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरी पार्टी यह सीट जीत रही है.

सवालः किरण बेदी आपकी पुरानी सहयोगी रही है और अब बीजेपी के साथ हैं.
जवाबः किरण बेदी मीडिया फुटेज की भूखी हैं. जनलोकपाल आंदोलन के दौरान ही मुझे यह पता चल गया था कि किरण बेदी का झुकाव बीजेपी की ओर हैं. किरण बेदी ने ओबीसी कैटेगिरी में अपनी बेटी का एडमिशन कराया था, बाद में यह सीट ही कैंसिल हो गई. जनलोकपाल आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी पिछले दरवाजे से सरकार के साथ सांठ गांठ कर रहे थे. अगर इन्होंने आंदोलन समाप्त नहीं किया होता, तो देश को जनलोकपाल बिल मिल गया होता.

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सवालः किरण बेदी के बीजेपी में आने से भगवा पार्टी को कितना फायदा हुआ है.
जवाबः किरण बेदी बीजेपी में ना आती, तो बीजेपी की स्थिति मजबूत होती अब आम आदमी पार्टी को इनके आने से फायदा होने जा रहा है. आम आदमी पार्टी को 25 के करीब सीटें मिलेगी. आम आदमी पार्टी खत्म हो गई थी, लेकिन बीजेपी ने उसे लाकर आम आदमी पार्टी को जीवनदान दिया है. किरण बेदी बीजेपी में ना आती, तो बीजेपी को 40 सीटें मिलती. बेदी के आने से आम आदमी पार्टी को फायदा होने जा रहा है.

सवालः आम आदमी पार्टी के प्रति सकारात्मक क्यों है.
जवाबः किरण बेदी के आने से आप को जीवन मिला है. केजरीवाल और किरण बेदी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं. नया दौर पार्टी को उम्मीद है कि चार सीटें मिलेगी. लोगों का अपार समर्थन मिल रहा है. 20 से ज्यादा सीटें आप को मिलेंगी.

सवालः आप पूरे विश्वास से कह रहे हैं कि आपकी पार्टी को चार सीटें मिल रही हैं. समर्थन की जरूरत पड़ी तो किसके साथ जाएंगे. बेदी और केजरीवाल दोनों आपके सहयोगी रहे हैं.
जवाबः नतीजे चाहे जो भी हो जिस भी पार्टी को बहुमत मिलेगा, उसे बाहर से समर्थन देंगे. हम राजधानी में दोबारा चुनाव नहीं चाहते हैं.

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सवालः अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के पोस्टर वॉर पर क्या कहेंगे.
जवाबः व्यक्तिगत राजनीति कोई मायने नहीं रखती. ये गलत हो रहा है.

सवालः दिल्ली में मोदी कैबिनेट के चुनाव प्रचार और मोदी-शाह की जोड़ी पर क्या कहेंगे.
जवाबः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह तानाशाही कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह चाहते हैं पूरे देश में उनका राज हो जाए. जनता की भलाई छोड़कर कॉरपोरेट की गोदी में जा बैठे हैं. मोदी और शाह का राष्ट्रवाद देश के लिए खतरनाक हैं. दूसरी ओर आम आदमी पार्टी सऊदी अरब से पैसा ले रही है. दोनों ही पार्टियों से देश को खतरा है.

सवालः यूथ फॉर इक्विलिटी को क्यों छोड़ा.
जवाबः यूथ फॉर का इक्विलिटी का आंदोलन अपने रास्ते से भटक गया और यह जातिवाद की ओर अग्रसर हो गया है. इसलिए मुझे इस आंदोलन से नाता तोड़ना पड़ा.

सवालः अन्ना की मौजूदा स्थिति के बारे में क्या कहेंगे.
जवाबः अन्ना जी ने अपने आपको यूज होने दिया और आज की अपनी स्थिति के लिए खुद ही जिम्मेदार हैं. वो एक चुका हुआ कारतूस हैं. रालेगण जाकर मैंने उनसे कहा था कि आप कमरे से बाहर निकलो. लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी. केजरीवाल ने उनका खूब यूज किया और किरण बेदी तो इस मामले में मास्टर ही है. दोनों ने अन्ना को खूब भुनाया.

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