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विशाल जनसभाएं न बड़ी रैलियां... मिजोरम में होता है सबसे अनोखा चुनाव प्रचार

मिजोरम का चुनाव प्रचार अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव प्रचार से बेहद अलग है. यहां प्रचार की एक खास प्रक्रिया है, और बीते कुछ सालों में इस प्रक्रिया को सामने लाकर 'मिज़ो पीपल्स फ़ोरम' (एमपीएफ) तेजी से उभरा है. मिजोरम में उम्मीदवारों के लिए इसके अलग ही तौर-तरीके हैं. मिज़ो पीपल्स फ़ोरम, यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवारों द्वारा कोई अनैतिक आचरण नहीं किया जाए.

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मिजोरम में चुनाव प्रचार अभियान का तरीका अनोखा है (फाइल फोटो)
मिजोरम में चुनाव प्रचार अभियान का तरीका अनोखा है (फाइल फोटो)

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी रण के लिए सिंहनाद फूंका जा चुका है. आचार संहिताएं लागू हैं और इसी के साथ नेता भी अपना-अपना प्रचार करने में जुटे में हैं. बात जब चुनाव प्रचार की आती है, तो कमोबेश एक जैसी बातें या चीजें ही लोग हर जगह देखते हैं. बड़े-बड़े काफिले, रैलियां, बैनर-प्रचार के झंडे और विशाल जनसभाएं. यानी कुल मिलाकर एक बड़े आयोजन जितना खर्च... 

मिजोरम में अलग है चुनाव प्रचार का तरीका
लेकिन, मिजोरम का मिजाज इस मामले में सबसे अलग है. यहां का चुनाव प्रचार अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव प्रचार से अलग है और यह इतना अलग है कि इसे अलहदा भी बना देता है. यहां प्रचार की एक खास प्रक्रिया है, और बीते कुछ सालों में इस प्रक्रिया को सामने लाकर 'मिज़ो पीपल्स फ़ोरम' (एमपीएफ) तेजी से उभरा है. बता दें कि यह एक चर्च समर्थित निकाय है, जो कि यह तय करता है कि कोई भी चुनावी उम्मीदवार किसी भी तरह का अनैतिक आचरण न करे, खासतौर में प्रचार के दौरान तो बिल्कुल नहीं.किसी भी प्रत्याशी द्वारा मिजो पीपल्स फोरम के बनाए नियम को अनदेखा करना, किसी भी उम्मीदवार को निश्चित तौर पर हार के कगार पर पहुंचा सकता है.  

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ये फोरम तय करता है प्रचार का तरीका
मिजोरम में चुनाव प्रचार का अलग ही तरीका है. किसी भी चुनाव के दौरान अधिकांश राज्यों और शहरों में जिस तरह से प्रचार किया जाता है, इसके उलट, मिजोरम में उम्मीदवारों के लिए इसके अलग ही तौर-तरीके हैं. मिज़ो पीपल्स फ़ोरम, यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवारों द्वारा कोई अनैतिक आचरण नहीं किया जाए. बड़ी रैलियां, बैनर और सड़कों को अवरुद्ध करने वाली विशाल सार्वजनिक जनसभाएं मिजोरम वालों के लिए अनसुनी बातें हैं. 

उम्मीदवारों को संबोधन के लिए दिए जाते हैं साझा मंच
एमपीएफ एक विशेष निर्वाचन क्षेत्र के सभी उम्मीदवारों के लिए सामुदायिक बैठक या 'साझा मंच' आयोजित करता है. यहां क्षेत्र के समर्थक और मतदाता उपस्थित होते हैं और उम्मीदवारों को धैर्यपूर्वक सुनते हैं. एक वक्ता, जो कि कोई भी उम्मीदवार ही होता है उसे अपना भाषण देने के लिए कुल 20 मिनट का समय दिया जाता है. जिसके बाद दूसरा उम्मीदवार भाषण देता है. अन्य प्रदेशों के राजनीतिक अभियानों के विपरीत, मिजोरम में राजनीतिक नारेबाजी अनसुनी है.

'प्रचार का सुरक्षित तरीका'
इंडिया टुडे से बात करते हुए आइजोल के रहने वाले 30 साल के लालफकजुआला रेंथली इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया. आइजोल उत्तर-1 यहां का एक निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां एक साझा मंच पर उपस्थित लोगों ने अपनी बात रखी. कहा कि देश के अन्य हिस्सों को मिजोरम से सीख लेनी चाहिए और प्रचार के तरीके को लागू करना चाहिए. लालफकजुआला रेंथली कहते हैं कि, "यह प्रचार करने का एक सुरक्षित और अद्भुत तरीका है. मिज़ो पीपल्स फ़ोरम यह सुनिश्चित करता है कि ये अभियान सभ्य तरीके से किए जाएं. यहां एक साझा मंच है. हर उम्मीदवार अपनी बात रखेगा. पिछले तीन चुनावों से ऐसा हो रहा है.'

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'चुनाव प्रचार की प्रक्रिया होती है शांत'
उन्होंने आगे कहा कि एमपीएफ नियम बनाता है कि चुनाव प्रक्रिया में उम्मीदवारों को शांतिपूर्ण रहना है. उन्होंने कहा, ''लोग उम्मीद करते हैं कि ऐसे उम्मीदवार चुने जाएंगे जो उनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी कर सकें. एक प्री स्कूल शिक्षक माली ने कहा कि मिजोरम में चुनाव शांतिपूर्ण और शांतिपूर्वक तरीके से हुए हैं. चुनाव कैसे होते हैं, इस मामले में यहां अलग तरीका मिल जाएगा. जब से अभियान शुरू हुआ है, सभी उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से अच्छा करने का प्रयास किया है. यह सभी तक पहुंचने के लिए एक अच्छा मंच है. 

'पूरे देश में नहीं होता है ऐसा प्रचार'
आइजोल के 35 वर्षीय व्यवसायी बेंजामिन ने इंडिया टुडे से बात करते हुए अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि, इस तरह के सामान्य ब्लॉक पूरे देश में लागू किए जाने चाहिए. उन्होंने इसे एक असामान्य तरीका बताया, जो कि पूरे देश में कहीं देखने को नहीं मिलता. "यह एक मददगार चीज़ है. एमपीएफ नियम बनाता है, और सभी पार्टियां उसका पालन करती हैं. अन्य राज्यों और राजनीतिक दलों को इसका पालन करना चाहिए. आप इसे कहीं और नहीं देख सकते हैं, लेकिन यह बहुत आम है. यह स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों दोनों के लिए एक अच्छी बात है."

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