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Tamil Nadu State Profile: दक्षिण के सबसे बड़े राज्य की चुनावी फिजा में इस बार क्या है खास?

तमिलनाडु की चुनावी बयार इस बार बदली-बदली सी लग रही है. तीन गठबंधनों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है तो तमिल भाषा और अस्मिता के साथ ही कच्चातिवु भी मुद्दा बना है.

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एमके स्टालिन ने पीएम मोदी पर निशाना साधा
एमके स्टालिन ने पीएम मोदी पर निशाना साधा

तमिलनाडु... लोकसभा सीटों की संख्या के लिहाज से दक्षिण भारत का यह सबसे बड़ा राज्य है. सूबे की सियासत पिछले 57 साल (साल 1967) से  द्रविड़ पार्टियों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. तमिलनाडु में कई पार्टियां बनीं, टूटी लेकिन सूबे की सियासत की धुरी पहले संयुक्त द्रविड़ मुनेत्र कषगम और फिर बाद में द्रमुक (डीएमके)-अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) ही बने रहे. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी तमिलनाडु में अब तक इन क्षेत्रीय क्षत्रपों के सहारे ही रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी इस बार 400 सीटें जीतने का टारगेट लेकर चुनाव मैदान में उतरी है और उसकी नजरें दक्षिण, खासकर तमिलनाडु पर हैं. तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं. सूबे की इन सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. लोकसभा सीटों के लिहाज से दक्षिण के इस सबसे बड़े राज्य की सत्ता पर काबिज एमके स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके सूबे में इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर रही है.

तमिलनाडु ऐसे राज्यों में है जहां से इंडिया ब्लॉक को सबसे अधिक सीटों की उम्मीद है. डीएमके की अगुवाई वाले सूबे के सत्ताधारी गठबंधन के सामने अबकी एआईएडीएमके के साथ ही बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की मजबूत चुनौती से भी दो-चार होना पड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लेकर भी बात हो रही है.

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किस गठबंधन में कौन-कौन से दल

तमिलनाडु में इस बार के लोकसभा चुनाव में तीन गठबंधन हैं. केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए, डीएमके की अगुवाई वाला इंडिया ब्लॉक और एआईएडीएमके की अगुवाई वाला सूबे का विपक्षी गठबंधन. एनडीए में बीजेपी के साथ पीएमके, टीएमसी (एम) और एएमएमके जैसी पार्टियां हैं. डीएमके की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के साथ ही सीपीएम, वीसीके, एमडीएमके और केएमडीके हैं तो एआईएडीएमके गठबंधन में डीएमडीके, एसडीपीआई और पीटीके शामिल हैं.

तमिलनाडु में कौन से मुद्दे

तमिलनाडु में इस बार बीजेपी भ्रष्टाचार और परिवारवाद के साथ ही कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा उठाकर डीएमके की अगुवाई वाले गठबंधन को घेर रही है. सनातन को लेकर उदयनिधि स्टालिन के बयान के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी समेत बड़े नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियों से भी बीजेपी को द्रविड राजनीति की मजबूत जमीन पर कमल खिलाने की उम्मीद है. तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष अन्नामलाई ने नदियों की सफाई, एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और पूर्व सीएम के कामराज के नाम पर खाद्य वैन की सुविधा देने का वादा किया है.

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वहीं, डीएमके की अगुवाई वाला गठबंधन स्टालिन सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच पहुंची. डीएमके ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए तमिल अस्मिता की पिच पर बीजेपी को जमकर घेरा. पीएम मोदी ने तमिल भाषा के विकास और सम्मान के लिए केंद्र के कदम गिनाए. पीएम मोदी ने काशी तमिल संगमम का जिक्र भी अपनी रैलियों में किया.

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कैसे रहे पिछले नतीजे

पिछले नतीजों की बात करें तो 2019 के चुनाव में गठबंधनों का गणित भी अलग था. तब एआईएडीएमके और बीजेपी साथ-साथ थे. छोटी-छोटी पार्टियों ने कई सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय जरूर बना दिया था लेकिन ज्यादातर जगह मुकाबला डीएमके और एआईएडीएमके के बीच ही रहा. तब डीएमके की अगुवाई वाला गठबंधन भारी पड़ा था. डीएमके को 33 फीसदी के करीब वोट मिले थे और उसकी अगुवाई वाला गठबंधन 52 फीसदी से अधिक वोट शेयर के साथ सूबे की 39 में से 38 सीटें जीतने में सफल रहा था.

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एआईएडीएमके की अगुवाई वाला गठबंधन 21 फीसदी के करीब वोट शेयर के साथ एक सीट ही जीत सका था. इसमें भी एआईएडीएमके का वोट शेयर ही 19 फीसदी से अधिक रहा था. बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में इस समय जो पार्टियां हैं, उन सभी का वोट शेयर जोड़ दें तो भी यह डबल डिजिट में नहीं पहुंच सका था.

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