यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन का ऐलान हुआ और कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस से विधायक रहे और अब तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता ललितेश पति त्रिपाठी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स और फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट कर दी. इस तस्वीर में ललितेश सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हैं और दोनों नेताओं के बीच में सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की तस्वीर भी नजर आ रही है. ललितेश ने 2021 में कांग्रेस को बाय बोलकर पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया था.
यूपी में बदले सियासी सीन और चुनावी मौसम में यह तस्वीर पोस्ट करते हुए टीएमसी प्रवक्ता ललितेश ने जो कैप्शन लिखा है, अब उसके सियासी मायने तलाशे जाने लगे हैं. दरअसल, अखिलेश यादव के साथ तस्वीर तस्वीर पोस्ट करते हुए पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी के प्रवक्ता ललितेश ने लिखा- "पूर्वजों का आशीर्वाद, जनसेवा का सतत प्रयास, यही है हमारा विश्वास." ललितेश ने एक्स पर अपने पोस्ट में समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के एक्स हैंडल को भी टैग किया है. यूपी में बदल रहे गठबंधनों के गणित के बीच ललितेश के इस पोस्ट ने सियासी कयासों को हवा दे दी है.
ललितेश की इस पोस्ट के बाद कोई कह रहा है कि टीएमसी का यूपी में कोई आधार नहीं है और इसे समझते हुए वह अब सपा में सियासी भविष्य की तलाश कर रहे हैं तो किसी को यह यूपी के गठबंधन में ममता बनर्जी की पार्टी के भी आने की संभावनाएं नजर आ रही हैं. कहा यह भी जा रहा है कि इंडिया गठबंधन से किनारा कर पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी टीएमसी और सपा के बीच हो सकता है कि गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही हो. कयास यह भी हैं कि सपा टीएमसी के लिए एक या दो सीटें छोड़ दे और बदले में ममता बनर्जी की पार्टी भी उसे बंगाल में एक सीट दे दे.
चर्चा यह भी है कि ममता बनर्जी अगर कहें तो अखिलेश किसी सीट से ललितेश को सपा के सिंबल पर भी उतार सकते हैं. ममता बनर्जी और अखिलेश के संबंध मधुर रहे हैं. सपा ने यूपी के विधानसभा चुनाव में अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल को अपने सिंबल पर उतारा भी था. ऐसे में ये चर्चा भी बेजां भी नहीं लगती.
हालांकि, ललितेश ने लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया है लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट में पूर्वजों के आशीर्वाद, जनसेवा का सतत प्रयास और पिछले कुछ दिनों से वाराणसी से सटे चंदौली क्षेत्र में सक्रियता को इस बात का इशारा माना जा रहा है कि वह अपने पूर्वजों की परंपरा का निर्वाह करते हुए दिल्ली का रास्ता तलाश रहे हैं. चर्चा अब इसे लेकर है कि वह सीट कौन सी हो सकती है. चर्चा में दो नाम हैं- चंदौली और मिर्जापुर. चंदौली से ललितेश के पुराना नाता है तो वहीं मिर्जापुर खुद उनकी अपनी सियासी कर्मभूमि रहा है.
वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस के पूर्व विधायक अब राष्ट्रीय राजनीति में विकल्प तलाश रहे हैं. कांग्रेस छोड़ने के बाद सपा-बसपा जैसी पार्टियों में जाने की जगह ललितेश का टीएमसी में शामिल हो जाना, टीएमसी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया जाना इसके शुरुआती संकेत थे. ललितेश की सियासत का सेंटर मिर्जापुर हुआ करता था. वह मिर्जापुर की मड़िहान सीट से विधायक भी रहे हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से चंदौली में अधिक सक्रिय नजर आ रहे हैं.
कुश्ती दंगल का उद्घाटन हो या वॉलीबॉल प्रतियोगिता का, ललितेश चंदौली में हो रहे छोटे-बड़े आयोजनों में शामिल हो रहे हैं. चंदौली लोकसभा सीट और औरंगाबाद हाउस का पुराना रिश्ता भी रहा है. चंदौली सीट का उनकी दादी चंद्रा त्रिपाठी भी लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. चंद्रा त्रिपाठी 1984 से 1989 तक चंदौली सीट से सांसद रहीं और एक वजह यह भी है कि पूर्वजों के आशीर्वाद की बात और चंदौली में सक्रियता को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. ललितेश पति त्रिपाठी कभी पूर्वांचल में कांग्रेस का पावर सेंटर रहे औरंगाबाद हाउस से नाता रखते हैं.
औरंगाबाद हाउस उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के रेल मंत्री रहे पंडित कमलापति त्रिपाठी के वाराणसी स्थित घर का नाम है और ललितेश पति त्रिपाठी पंडित त्रिपाठी के प्रपौत्र हैं. अब पेच यह है कि चंदौली से सपा उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी है. ऐसे में विकल्प के तौर पर मिर्जापुर की भी बात हो रही है. लेकिन कहा यह भी जा रहा है कि जब सपा ने उम्मीदवार का ऐलान करने के बाद वाराणसी की सीट गठबंधन में कांग्रेस के लिए छोड़ दिया, बदायूं से धर्मेंद्र यादव की जगह शिवपाल सिंह यादव को उतार दिया तो पार्टी चंदौली में भी उम्मीदवार बदल सकती है. खैर ये सब कयास और चर्चाएं हैं.
ललितेश के लिए मुफीद क्यों है चंदौली सीट
अब सवाल यह भी उठ रहा है कि चंदौली लोकसभा सीट आखिर ललितेश के लिए मुफीद क्यों है? दरअसल, चंदौली से कमलापति त्रिपाठी का भी भावनात्मक जुड़ाव रहा है. ललितेश की दादी भी इस सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं तो साथ ही जातिगत समीकरण भी अनुकूल हैं. यादव बाहुल्य चंदौली लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत, मौर्या, दलित और राजभर के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है. इस सीट से फिलहाल केंद्र सरकार में मंत्री बीजेपी के महेंद्रनाथ पांडेय सांसद हैं. ललितेश अगर सपा के सिंबल पर या उसके समर्थन से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उन्हें चंदौली से कमलापति त्रिपाठी के भावनात्मक लगाव का भी लाभ मिल सकता है.