18वीं लोकसभा के चुनाव 1 जून को अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रहे हैं. इस चरण में कई लोगों की नजरें पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट पर टिकी हैं. कारण, यहां का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है. इस सीट से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ रहा है. हालांकि भारत में कोई भी कानून अमृतपाल को जेल से चुनाव लड़ने से नहीं रोकता है, लेकिन उसे मौजूदा चुनावों में वोट देने का अधिकार नहीं है.
आजतक ने उन तमाम प्रावधानों पर नजर डाली, जो उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति देते हैं. दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (3) के तहत, यदि किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और उसे कम से कम दो साल की जेल की सजा सुनाई जाती है, तो वह रिहाई की तारीख से छह साल तक चुनाव लड़ने से स्वतः ही अयोग्य हो जाता है. इसका मतलब यह है कि चुनाव लड़ने पर रोक तभी लगती है जब किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है. यही कारण है कि अमृतपाल सिंह जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ सकता है.
हालांकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अप्रैल 2023 में सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद संसद सदस्य (वायनाड) के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अयोग्यता पर रोक लगा दी और राहुल गांधी की संसद सदस्यता फिर से बहाल कर दी.
जेल में बंद लोगों को मतदान का अधिकार नहीं
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 (5) में कहा गया है, "कोई भी व्यक्ति किसी भी चुनाव में तब वोट नहीं डाल सकता जब वह कारावास की सजा के तहत जेल में बंद है या पुलिस की कस्टडी में है."
ये नेता जेल से लड़ चुके हैं चुनाव
मुख्तार अंसारी
गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज कल्पनाथ राय के खिलाफ बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. मुख्तार अंसारी और दो अन्य लोगों पर अप्रैल 2009 में कपिल देव सिंह की हत्या का आरोप लगाया गया था. इस साल मार्च में पुलिस हिरासत के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
कल्पनाथ राय
पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय ने 1996 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा था और मुख्तार अंसारी को हराकर घोसी सीट से जीत हासिल की थी. केंद्रीय मंत्री 1996 में टाडा मामले में जेल में बंद हैं.
आजम खान
वरिष्ठ नेता समाजवादी पार्टी के नेता और मंत्री रहे आजम खान ने जेल में रहते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2022 में 55,000 वोटों से जीत हासिल की. नेता को 2019 के कथित भड़काऊ भाषण मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें विधानसभा सीट से अयोग्य घोषित कर दिया गया.
नाहिद हसन
सपा नेता नाहिद हसन ने भी 2022 में जेल से कैराना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
शहाबुद्दीन
शहाबुद्दीन ने जेल से ही सीवान सीट जीती और 1999 में जीत हासिल की. बाद में उन्हें कई हत्याओं का दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
अखिल गोगोई
असम के आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने जेल में रहते हुए 2021 में सिबसागर सीट से असम विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. अखिल गोगोई जब चुनाव लड़ रहे थे, तब वे राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में कथित संलिप्तता के लिए 2019 से ही गिरफ़्तार थे. उन्होंने ऊपरी असम के ऐतिहासिक सिबसागर निर्वाचन क्षेत्र से 11,875 मतों के अंतर से चुनाव जीता है
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला
सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही एक याचिका पर सुनवाई चल रही है, जिसमें सांसदों के खिलाफ़ आपराधिक मामलों की जल्द सुनवाई और सीबीआई और अन्य एजेंसियों द्वारा जल्द से जल्द जांच की मांग की गई है. मामले में एमिकस क्यूरी की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने एक रिपोर्ट तैयार की है और बताया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें से 1,899 मामले पांच साल से अधिक पुराने हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि दिसंबर 2018 तक लंबित मामलों की कुल संख्या 4,110 थी; और अक्टूबर 2020 तक यह 4,859 थी.