भारत में अब चुनाव प्रक्रिया सिर्फ नेताओं की रैली और भाषण तक ही सीमित नहीं है. WhatsApp भी चुनाव में महत्वपूर्ण रोल निभा रहा है. कर्नाटक चुनाव वट्सऐप के कुरुक्षेत्र पर भी लड़ा गया. जहां दोनों प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने दांव चले.
कर्नाटक चुनाव में भी यह नजारा देखने को मिला. वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, इस बार देश की दो बड़ी पार्टियों ने दावा किया कि उनके 20 हजार से ज्यादा WhatsApp ग्रुप चल रहे हैं. साथ ही इसके जरिए दोनों पार्टियां किसी भी वक्त 15 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं तक पहुंचने का दावा भी करती हैं.
वहीं यह ऐप अब सिर्फ कॉल, चैट तक न सीमित होकर सूचनाओं के जरिए विचार बनाने में मदद कर रहा है. हालांकि WhatsApp एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है, जहां डेटा को बिना फिल्टर शेयर किया जा रहा है. यही वजह है कि WhatsApp के जरिए काफी संख्या में धार्मिक नफरत वाले मैसेज और फेक न्यूज भी फैलाए जा रहे हैं.
एक्टिविस्ट और विशेषज्ञों के अनुसार, WhatsApp का इस्तेमाल कर विरोधी पार्टियों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. राजनीतिक विरोधियों के बयान को जोड़तोड़ कर वट्सऐप पर शेयर किया जा रहा है. साथ ही हिंदू और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाने वाले मैसेज भी शेयर हो रहे हैं.
भारत में चुनाव के दौरान फेक न्यूज को फैलने से रोकने के लिए फेसबुक ने फैक्ट चेकिंग वेबसाइट बूम से साझेदारी की है. हालांकि वट्सऐप के जरिए फैलने वाली गलत सूचनाओं के लिए ज्यादा कदम नहीं उठाए गए हैं. हालांकि वट्सऐप की एक टीम ने भारत में अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए सिविल सोसाइटी ग्रुपों से मुलाकात की है. वट्सऐप ने बयान में कहा कि वह लोगों को फेक न्यूज को पहचानने में मदद कर रहा है.
फेसबुक पर डेटा चोरी के आरोपों के बीच विदेशी मीडिया कर्नाटक चुनाव को “WhatsApp First” चुनाव करार दे रहा है. यानी डेटा लीक के दौर में लड़ा गया पहला चुनाव. एक्टिविस्ट के अनुसार 1.5 अरब लोग WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में वट्सऐप के इनक्रिप्टेड मैसेज जो कंपनी भी नहीं पढ़ सकती है, वह लोकतंत्र के लिए काफी बड़ा खतरा है. खासकर भारत जैसे देशों में जहां करोड़ों लोगों ने हाल में ही इंटरनेट इस्तेमाल करना शुरू किया है और वह पूरी तरह डिजिटल साक्षर नहीं हैं. साथ ही ये बातचीत प्राइवेट ग्रुपों में हो रही है, ऐसे में गलत सूचनाओं को सही करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
डिजिटल एक्टिविस्ट निखिल पाहवा के अनुसार वट्सऐप पर यह जानना लगभग नामुमकिन है कि कोई सूचना कैसे फैल रही है. ऐसे राजनीतिक पार्टियों के लिए गलत सूचना फैलाना काफी आसान है और कोई उन्हें इसके लिए जिम्मेदार भी नहीं ठहरा सकता है.
सबसे बड़ा मार्केट भारत
WhatsApp का सबसे बड़ा मार्केट भारत है. यहां कंपनी के 20 करोड़ यूजर्स हैं. यही वजह है पेमेंट फीचर आदि नए प्रोडक्ट लॉन्च कर कंपनी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाह रही है. हालांकि वट्सऐप के आने के साथ ही इस ऐप के कारण कई जगह हिंसक वारदातें हुई हैं. कुछ सप्ताह पहले ही तमिलनाडु में वट्सऐप पर फैली अफवाह की वजह से 3 लोगों को मार दिया गया.
मोदी की अपनी वट्सऐप सेना
रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी ने भी सोशल मीडिया प्रचारों का जमकर इस्तेमाल कर 2014 के चुनाव में जीत हासिल की थी. अब उनके हजारों वट्सऐप वॉरियर ग्रास रुट लेवल पर कई वट्सऐप ग्रुप चला रहे हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, हिंदुओं को एकजुट करने के लिए इन ग्रुप के कुछ पोस्ट मुस्लिमों के खिलाफ धमकी भरे भी थे.
बीजेपी के मेंगलुरु के प्रवक्ता विकास पुट्टुर के अनुसार अब घरों तक पार्टी का मेनिफेस्टो पहुंचाना काफी आसान हो गया है. पुट्टुर ने इस बात से इनकार किया कि उनकी पार्टी फेक और धार्मिक रंग से रंगे पोस्ट शेयर करती है. उनके अनुसार ऐसी हरकत कांग्रेस द्वारा होती है.
भारत में वट्सऐप पर फेक खबरों को रोकने के लिए कई बार इंटरनेट बंद करने जैसे कदम भी उठाए गए. एक पोर्टल के अनुसार, पिछले साल 70 बार इंटरनेट बंद किया गया, जबकि 2014 में सिर्फ 6 बार ऐसे कदम उठाए गए.
सूचना मॉनिटरिंग के लिए कदम
वट्सऐप कंटेंट की मॉनिटरिंग के लिए कई देश कदम उठा रहे हैं. कोलंबिया में एक न्यूज वेबसाइट ला सिल्ला वेसिया ने वट्सऐप डिटेक्टर नाम से एक फीचर लॉन्च किया है. जहां लोग वट्सऐप मैसेज शेयर कर उसकी सत्यता की पुष्टि कर सकते हैं. वहीं मिस्र और मेक्सिको में सरकारों ने देश और पब्लिक की सुरक्षा के लिए खतरनाक फेक वट्सऐप मैसेज की शिकायत के लिए हॉटलाइंस तक बनाया है.
स्पैम मैसेज रोकने के लिए कदम उठाएगा वट्सऐप
वट्सऐप ने अपने बयान में कहा है कि सेफ्टी की बात आने पर कंपनी बुरे या खतरनाक यूजर्स को ब्लॉक करने जैसे कदम उठा सकती है. भविष्य में वट्सऐप अकाउंट को फेसबुक से जोड़ने जैसी पहल हो सकती है. कंपनी ने ये भी स्वीकार किया कि राजनीतिक पार्टियां ऑर्गनाइज होने के लिए वट्सऐप का इस्तेमाल कर रही हैं. कंपनी के अनुसार कर्नाटक चुनाव से उसे बहुत कुछ सीखने को मिला है और यह आगे जाकर स्पैम मैसेज को सही ढंग से रोकने में कारगर साबित होगा.
कर्नाटक हिंसा का जिक्र
रिपोर्ट में बीजेपी सांसद शोभा करांडलजे का उस ट्वीट का भी जिक्र किया है, जिसकी वजह से कर्नाटक के शहर होन्नावर में पिछले साल हिंसा भड़की थी. रिपोर्ट के अनुसार परेश मेस्ता नाम के शख्स की लाश झील में मिली थी. इस पर उडूपी चिकमंगलूर की सांसद शोभा करांडलजे ने कहा था कि ये जिहादियों का काम है. ये भी सामने आया कि झील में फेंकने से पहले परेश मेस्ता पर धारदार हथियारों से हमला किया गया, उसके कई बॉडी पार्ट्स काट दिए गए और फिर एसिड या किसी केमिकल से उसका चेहरा जला दिया गया. मरने के बाद उसे झील में फेंक दिया गया. इसके बाद कर्नाटक में लोग इकट्ठा हो गए, सभाएं कीं और माहौल तनावपूर्ण हो गया. वहीं रेश की हत्या में पांच मुस्लिम लोगों के खिलाफ हत्या का नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है. वहीं इस मामले में शोभा करांडलजे पर लोगों को भड़काने के मामले में केस दर्ज कर लिया गया है. हालांकि इसके बाद भी सांसद ने #HinduLivesMatter हैशटेग के साथ ट्वीट किया कि वह अपनी लड़ाई जारी रहेगी.