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दांव या दुविधा? तेजस्वी की सीएम दावेदारी को सीधे सपोर्ट करने से क्यों बच रहे राहुल गांधी

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ने जा रही है, लेकिन विपक्षी इंडिया ब्लॉक में तेजस्वी यादव के नाम पर कांग्रेस रजामंद नहीं है. राहुल गांधी पूरी यात्रा के दौरान तेजस्वी को सपोर्ट करने से बचते रहे हैं. यह कांग्रेस का दांव है या फिर दुविधा?

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तेजस्वी यादव के चेहरे पर राहुल गांधी की चुप्पी (Photo-PTI)
तेजस्वी यादव के चेहरे पर राहुल गांधी की चुप्पी (Photo-PTI)

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही शह-मात का खेल शुरू हो गया है. आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन की तमाम बैठकें हो चुकी हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' का समापन भी हो चुका है. इसके बाद 'इंडिया ब्लॉक' के सीएम चेहरे पर सस्पेंस जस का तस बना हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि यह सियासी संयोग है या फिर कोई सियासी प्रयोग?

राहुल गांधी से बिहार में 'इंडिया ब्लॉक' के सीएम चेहरे पर कई बार सवाल किए गए, लेकिन हर बार वह खामोशी अख्तियार किए रहे. तेजस्वी ने राहुल गांधी को पीएम का उम्मीदवार तक बता दिया और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तेजस्वी के नाम पर अपनी सहमति जता दी है. इसके बाद भी कांग्रेस तेजस्वी के नाम पर मुहर लगाने को तैयार नहीं हुई.

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर 'इंडिया ब्लॉक' ने एक कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई और उसकी कमान तेजस्वी यादव के हाथ में है. इस तरह से तेजस्वी यादव 2025 के चुनाव में महागठबंधन में लीड रोल में रहेंगे, लेकिन कांग्रेस उन्हें सीएम पद का चेहरा बनाकर विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती. इस तरह पब्लिक के बीच कन्फ्यूजन भी बढ़ रहा है. तेजस्वी के चेहरे पर कांग्रेस की दुविधा है या फिर सियासी दांव?

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तेजस्वी के चेहरे पर कांग्रेस रजामंद नहीं?

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आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव काफी पहले ही कह चुके हैं कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे, तो तेजस्वी भी अपने नाम का खुद ही ऐलान कर चुके हैं. इसके बाद भी कांग्रेस तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ना चाहती. 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान राहुल गांधी से इस संबंध में कई बार सवाल किए गए, लेकिन हर बार वो कन्नी काटते नजर आए.

बिहार में कांग्रेस आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर राजी है, लेकिन इस बात पर सहमत नहीं है कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा तेजस्वी यादव को बनाया जाए. आखिर क्या वजह है कि तेजस्वी यादव के चेहरे को लेकर कांग्रेस दुविधा में फंसी हुई है. कांग्रेस की चुप्पी को देखते हुए तेजस्वी यादव खुद ही अपने लिए सियासी बैटिंग शुरू कर दी है और अपना चेहरा बनाने की कवायद में जुटे हैं.

बिहार में तेजस्वी सबसे लोकप्रिय चेहरे

इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे के मुताबिक, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा के तौर पर सबसे ज्यादा लोगों ने पसंद किया है. सर्वे के मुताबिक मई के महीने में बिहार के सीएम के रूप में 36.9 फीसदी लोग तेजस्वी को देखना चाहते हैं, तो 18.4 फीसदी लोग नीतीश कुमार को. पिछले चार सर्वे में तेजस्वी यादव की स्थिति ऐसी ही है. इस तरह वे बिहार के लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. इसके बाद भी तेजस्वी यादव के नाम पर कांग्रेस तैयार नहीं है.

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तेजस्वी यादव के चेहरे पर क्यों सस्पेंस?

सीएम चेहरे पर सस्पेंस बनाए रखने की स्ट्रेटेजी के साथ कांग्रेस बिहार चुनाव लड़ना चाहती है, जिस तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में 'इंडिया गठबंधन' ने किसी को पीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया था. इस फॉर्मूले पर बिहार चुनाव में उतरने की कवायद है. कांग्रेस का तर्क है कि अगर तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा घोषित कर महागठबंधन चुनावी मैदान में उतरती है, तो उससे सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है.

कांग्रेस को लगता है कि तेजस्वी यादव के नाम पर यादव समाज को छोड़कर, दलित, अन्य पिछड़ी जातियां और सवर्ण समाज का वोट नहीं मिल पाएगा. यह बात राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सीधे तौर पर दिल्ली की बैठक में तेजस्वी यादव को बता चुके हैं. हां, ये जरूर आश्वासन दिया था कि अगर बिहार में सरकार बनाने का मौका हाथ आता है, तो तेजस्वी यादव को सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनके नाम की घोषणा कर लड़ना जोखिम भरा कदम हो सकता है.

2024 का फॉर्मूला रख रही कांग्रेस

'इंडिया ब्लॉक' ने 2024 में पीएम पद का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ा था. 'इंडिया ब्लॉक' ने एक 'ज्वाइंट कमेटी' बनाई थी, उसी तर्ज पर बिहार में 'कोऑर्डिनेशन कमेटी' बनाई गई है. कांग्रेस की रणनीति है कि बिना सीएम चेहरे के उतरने से किसी समाज के वोट छिटकने का खतरा नहीं होगा. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने के लिए तैयार नहीं है.

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बीजेपी सीएम चेहरे पर सस्पेंस बनाकर सियासी जंग फतह करती रही है. अब बीजेपी के फॉर्मूले से कांग्रेस बिहार में नीतीश कुमार को सियासी शिकस्त देने की रणनीति बना रही है. यूपी में 2017 के चुनाव में बीजेपी किसी को सीएम पद का चेहरा बनाकर मैदान में नहीं उतरी थी, लेकिन जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को सत्ता की बागडोर सौंपी थी. 2022 के चुनाव में भी सीएम फेस पर बीजेपी दो धड़ों में बंटी हुई नजर आ रही थी और सस्पेंस बनाकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी इस जंग को जीतने में कामयाब रही और अब उसी रणनीति को कांग्रेस बिहार में अपना रही है.

राजनीतिक विशेषज्ञ काशी प्रसाद यादव मानते हैं कि बिहार में सीएम फेस पर कांग्रेस ऐसी ही दुविधा बनाकर रखना चाहती है, जिसमें उसका अपना सियासी फायदा है. बिना किसी चेहरे को आगे किए चुनाव में उतरने से कांग्रेस के तमाम नेता एकजुट होकर प्रयास करते हैं. बीजेपी और कांग्रेस ऐसी पार्टियां हैं, जहां मुख्यमंत्री बनने का मौका पार्टी के किसी भी नेता को मिल सकता है. कांग्रेस बिहार में सीएम चेहरे को लेकर ऐसी दुविधा को बनाए रखना चाहती है ताकि पार्टी के सभी नेता और उनके कार्यकर्ता एकजुट होकर पार्टी को जिताने में भूमिका अदा करें.

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क्या कांग्रेस की स्ट्रेटेजी का हिस्सा है यह?

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस भी कहते हैं कि कई विकल्प खुले रखना किसी राजनीतिक दल के लिए हमेशा अच्छा होता है. इससे नेतृत्व को चुनावी अंकगणित साधने के लिए आवश्यक गुणा-भाग करने में सहूलियत हो जाती है. बिहार की जहां तक बात है तो कांग्रेस और आरजेडी के बीच यह एक सोची-समझी रणनीति है. कांग्रेस को तेजस्वी के चेहरे पर कोई विरोध नहीं है, बल्कि यह चेहरा घोषित कर वह बीजेपी को कोई मुद्दा नहीं देना चाहती. यही वजह है कि कांग्रेस चुप है और आरजेडी मुखर है. इस तरह सियासी सस्पेंस बनाकर बिहार चुनाव लड़ने का प्लान 'इंडिया ब्लॉक' ने बनाया है.

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह से खुद मुखरता से तेजस्वी के नाम की घोषणा की है. तेजस्वी यादव ने यात्रा के दौरान कई बार अपने नाम को आगे बढ़ाया, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इस पर कोई निश्चितता नहीं जताई है, बल्कि चुप्पी अपनाकर रजामंदी के संकेत दिए. इस तरह आरजेडी नेताओं का मानना है कि महागठबंधन के सीएम चेहरे को लेकर कोई विवाद नहीं है. तेजस्वी यादव के चेहरे पर कांग्रेस कन्फ्यूजन बनाकर चुनाव में उतरने का दांव आजमा रही है.

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