बिहार में इस बार गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को लेकर घमासान मचा हुआ है. 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने के बाद सीमांचल के इलाके एक बार फिर चर्चा में हैं. विपक्षी दलों ने दावा किया है कि सबसे ज्यादा नाम सीमांचल के जिलों से हटाए गए हैं और उनमें भी मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं. लेकिन जब आज तक की टीम ने सीमांचल का दौरा किया तो एक अलग ही तस्वीर सामने आई.
कई वैध मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं हैं, लेकिन ऐसे लोग सामने नहीं आ रहे हैं या फिर दस्तावेजों की कमी के कारण उन्हें नाम जुड़वाने में परेशानी हो रही है. यह रिपोर्ट पूर्णिया, किशनगंज और अररिया जिलों से जुटाई गई ग्राउंड रिपोर्ट पर आधारित है.
पूर्णिया का हाल:
सीमांचल का सबसे बड़ा जिला पूर्णिया है. यहां कुल 2.73 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं. जिले में सात विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें पूर्णिया सदर, अमौर, बायसी, कसबा, बनमनखी, रूपौली और धमदाहा शामिल हैं. यहां ड्राफ्ट सूची में मतदाताओं की संख्या घटकर 19 लाख 94 हजार 511 रह गई है.
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हालांकि यह दावा किया गया था कि बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता प्रभावित हुए हैं, लेकिन नाम कटने वालों की प्रत्यक्ष संख्या इतनी नहीं दिखी जितनी की आशंका थी. आज तक की टीम ने जब शहर और ग्रामीण इलाकों का दौरा किया तो ज्यादातर लोगों ने बताया कि उनका नाम वोटर लिस्ट में है.
रामपुर बेलवा पंचायत के नागदेही गांव में हजरत उमर और उनकी पत्नी कदबानू का नाम ड्राफ्ट लिस्ट से गायब है, जबकि 2003 से दोनों के पास वोटर आईडी कार्ड है और वे हर चुनाव में मतदान करते रहे हैं. हजरत उमर ने बीएलओ से संपर्क किया है और वे नाम जुड़वाने की प्रक्रिया में हैं.
विधानसभा क्षेत्रों में नाम कटने का आंकड़ा:
पूर्णिया सदर: 49850
अमौर: 46948
धमदाहा: 42930
बनमनखी: 36636
कसबा: 35647
रूपौली: 35343
बायसी: 26556
जिला निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार बीएलओ लगातार कैंप लगाकर वैध मतदाताओं के नाम जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों के बीएलए को भी मतदाता सूची और कटे नामों की लिस्ट दी गई है ताकि वे भी फार्म भरवाकर लोगों के नाम जुड़वा सकें. बीएलए हर दिन 10 फार्म जमा कर सकते हैं.
किशनगंज की स्थिति:
किशनगंज में 1.45 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं. यह जिला सीमांचल के सबसे संवेदनशील जिलों में गिना जाता है क्योंकि यह नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा है और बांग्लादेश के भी नजदीक है.
यहां भी मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा है, लेकिन ड्राफ्ट लिस्ट में नाम हटने के बाद ना तो बीएलओ के पास ज्यादा लोग पहुंचे हैं और ना ही कैंपों में भीड़ दिखी. किशनगंज में सबसे ज्यादा भीड़ निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अंचल कार्यालय में दिख रही है.
आज तक की टीम ने यहां कई मुस्लिम आवेदकों से बात की. उनका कहना था कि ड्राफ्ट लिस्ट में उनका नाम नहीं कटा है लेकिन अगर 1 सितंबर से पहले निवास प्रमाण पत्र बीएलओ को नहीं दे पाए तो नाम कट सकता है. दरअसल यहां के लोगों के पास आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज तो हैं लेकिन चुनाव आयोग द्वारा मांगे गए 11 दस्तावेजों में से कई नहीं हैं.
निवास प्रमाण पत्र ही एकमात्र विकल्प है जो जल्द मिल सकता है. लेकिन अचानक आवेदन बढ़ जाने से सरकार ने जांच के बाद ही प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं. इससे प्रमाण पत्र जारी होने में देरी हो रही है.
अररिया का हाल:
अररिया जिले में 1.58 लाख नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं. यहां AIMIM समेत कई दलों का प्रभाव है लेकिन बीएलए के स्तर पर सक्रियता नहीं दिख रही है. लोगों को यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि उनका नाम लिस्ट में है या नहीं. बीएलए इसमें मदद कर सकते हैं लेकिन वह भी सक्रिय नहीं हैं.
स्थानीय विधायक भी अब तक ऐसे मतदाताओं की पहचान नहीं कर सके हैं. चर्चा यह भी है कि ऐसे मतदाताओं के नाम कटे हैं जो एक से ज्यादा जगहों पर वोटर लिस्ट में शामिल थे. इससे भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
कंट्रोल रूम और बीएलओ की भूमिका:
चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी वैध मतदाता मताधिकार से वंचित न रहे. इसके लिए कंट्रोल रूम और बीएलओ सक्रिय हैं. जिन मतदाताओं ने 25 जुलाई तक फार्म भर दिया लेकिन दस्तावेज नहीं दिए, उनके डाटा बीएलओ के पास हैं. अब बीएलओ दस्तावेज लेने के लिए संपर्क कर रहे हैं. डाक्यूमेंट्स अपलोड करने का काम तेजी से किया जा रहा है ताकि फाइनल लिस्ट में नाम जोड़ने की प्रक्रिया पूरी हो सके. जिन लोगों ने बिना दस्तावेज फार्म भर दिया है उन्हें अब कागजात जमा करने होंगे.
बता दें, सीमांचल के जिलों में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नाम कटने की खबरें जरूर हैं लेकिन जमीन पर वैध मतदाता सामने नहीं आ पा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह दस्तावेजों की कमी और प्रक्रिया की जानकारी का अभाव है. बीएलओ और बीएलए अगर सक्रियता दिखाएं तो बड़ी संख्या में नाम दोबारा सूची में जोड़े जा सकते हैं. 1 सितंबर तक दस्तावेज जमा करने का समय है. ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी है कि समय रहते प्रक्रिया को आसान और तेज किया जाए.