दिल्ली में विधानसभा चुनाव की वोटिंग जारी है. 70 सीटों पर 699 उम्मीदवार मैदान में हैं. वोटिंग के साथ ही कैंडिडेट्स की किस्मत EVM में कैद हो गई है. अब इंतजार है- 8 फरवरी का. इसी दिन चुनावी नतीजे आएंगे. लेकिन इससे पहले आज शाम 6 बजे के बाद Exit Polls के नतीजे आएंगे.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और आतिशी मुख्यमंत्री हैं. AAP ने लगातार 2013, 2015, 2020 में जीत हासिल की और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने. हालांकि, शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल फंस गए और उन्हें मार्च 2024 में जेल जाना पड़ा. सितंबर में जब वो जमानत पर बाहर आए तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और पार्टी ने आतिशी को नया सीएम बनाया.
AAP का बीजेपी और कांग्रेस से मुकाबला
AAP के लिए यह चुनाव काफी मायने रखता है. जबकि बीजेपी और कांग्रेस भी मैदान में हैं और वापसी के लिए जोर लगा रहे हैं. बीजेपी ने दिल्ली में 1993 में जीत हासिल की थी, उसके बाद कभी जीत नसीब नहीं हुई. वहीं, कांग्रेस ने 1998, 2003, 2008 में लगातार जीत हासिल की और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं. इस बार चुनाव में AAP को BJP-कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है. दिल्ली में लगभग 1.56 करोड़ वोटर्स हैं. मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे समाप्त होगा.
कैसे रहे दो चुनावों के नतीजे?
2020 के चुनाव में AAP ने 62 सीटें जीतीं और 53.80 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. जबकि बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं और 38.70% वोट शेयर हासिल किया था. 2015 के चुनाव में AAP ने 67 सीटें जीतीं और 54.50 फीसदी वोट हासिल किए थे. बीजेपी ने तीन सीटें जीती थीं और 32.30 प्रतिशत वोट मिले थे.
दिल्ली की किन सीटों पर सबकी नजर?
दिल्ली चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजे पर हर किसी की नजर है. अरविंद केजरीवाल, आतिशी, प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और कैलाश गहलोत जैसे प्रमुख नेता दौड़ में हैं. नई दिल्ली सीट सबसे हाई-प्रोफाइल है. यहां AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल, बीजेपी के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित के बीच मुकाबला है.
पटपड़गंज सीट पर AAP से अवध ओझा, बीजेपी से रविंदर सिंह नेगी और कांग्रेस से अनिल चौधरी के बीच टक्कर है. उत्तर पश्चिमी इलाके की रोहिणी सीट पर AAP से प्रदीप और बीजेपी से विजेंद्र गुप्ता के बीच मुकाबला हो रहा है.
कालकाजी सीट पर दिल्ली की वर्तमान सीएम आतिशी, बीजेपी से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अलका लांबा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है. जंगपुरा सीट से AAP से मनीष सिसोदिया, बीजेपी से सरदार तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस से फरहाद सूरी मैदान में हैं.
क्या होते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल से चुनावी नतीजों की एक तस्वीर पता चलती है. दरअसल, एग्जिट पोल में एक सर्वे किया जाता है, जिसमें वोटरों से कई सवाल किए जाते हैं. उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया. ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही होता है. सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम पोलिंग बूथ के बाहर वोटरों से सवाल करती है. इसका एनालिसिस किया जाता है और इसके आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाता है. भारत में कई सारी एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती हैं.
एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस?
एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं. -कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.