केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुधवार को हुई, जिसमें एक फैसले के अनुसार घाटी में कश्मीरी विस्थापितों को 3000 अतिरिक्त सरकारी नौकरियां और 6000 अस्थाई आवास प्रदान किए जाएंगे.
कैबिनेट ने जम्मू के ऊंचे क्षेत्रों से विस्थापित लोगों की आर्थिक सहायता भी बढ़ाने का फैसला किया. दोनों फैसलों की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कश्मीरी विस्थापितों को राज्य सरकार में अतिरिक्त 3000 नौकरियां दी जाएंगी, जिनमें केंद्र सरकार वित्तीय सहायता देगा.
नौकरियों के प्रावधान से राजकोष पर 1080 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. आवास के प्रावधान पर 920 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे जिनमें 200 करोड़ ज़मीन खरीदने पर और 720 करोड़ निर्माण कार्य पर खर्च होंगे.
सरकार के पास 62000 विस्थापित कश्मीरी पंडित पंजीकृत हैं जिनमें से 39000 जम्मू, 19000 दिल्ली और बाकी देश के दूसरे हिस्सों रहते हैं. इससे पहले 2008 में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की कश्मीर घाटी में वापसी के लिए 1618.40 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी.
इस पैकेज के तहत कश्मीरी विस्थापितों को राज्य सरकार में 3000 नौकरियां दी जानी थीं, जिनमें से 1963 को रोजगार दिया जा चुका है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में जम्मू क्षेत्र के पर्वतीय इलाकों से विस्थापितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता कश्मीरी विस्थापितों के अनुरूप करने के लिए 400 प्रतिशत से अधिक करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई.
इसके अनुसार 1054 परिवारों को मौजूदा 400 रुपए की जगह 2500 रुपए की सहायता मिलेगी. राज्य से आने वाले लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 1990 के दशक में आतंकवाद के चलते जम्मू के ऊंचे पर्वतीय इलाकों से विस्थापित हुए लोगों ने कश्मीरी विस्थापितों की तरह मासिक मानदेय नहीं दिए जाने की शिकायत की थी.