scorecardresearch
 

मांग कर खाते थे रोटी, अब डीयू में प्रोफेसर बने दिव्यांग दीपक

अलवर के मंदा माजरी गांव के रहने वाले विनोद शर्मा ने गरीबी में अपने बचपन गुजारा था और आज वो दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज में भूगोल के सहायक प्रोफेसर हैं.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

राजस्थान के अलवर जिले के एक शख्स ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जो आज सभी के लिए प्रेरणादायक कहानी है. अलवर के मंदा माजरी गांव के रहने वाले विनोद शर्मा ने गरीबी में अपने बचपन गुजारा था और आज वो दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज में भूगोल के सहायक प्रोफेसर हैं.

अखबार दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार विनोद के परिवार में पांच भाई बहन हैं. उनके पिता ऊंटगाड़ी पर सब्जी बेचते थे और बचपन में उनके पांव में पोलियो हो गया था. वहीं जब वो 11 साल के थे तो उनके पिता का निध्न हो गया था, लेकिन उन्होंने गरीबी से लड़ाई लड़ी.

दूध बेचने वाले पिता की मेहनत सफल, बेटा हुआ अंडर-19 इंडियन क्रिकेट टीम में सलेक्ट

उन्हें गरीबी की वजह से अपनी पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी, लेकिन बाद में काम के साथ साथ पढ़ाई करते हुए वो इस मुकाम पर पहुंचे.

Advertisement

इंफोसिस के नए CEO सलिल एस पारेख, IIT से की है पढ़ाई

उन्होंने 4 किताबें लिखी हैं और कई देश-विदेश में कई मुद्दों पर लेक्चर भी दिया है. उन्हें सराहनीय कार्य के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित भी किया गया है.

Advertisement
Advertisement