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पहले थीं जिस कंपनी में कर्मचारी, अब बन गई हैं उसी कंपनी की प्रेसिडेंट

इंटेल इंडिया कंपनी में कर्मचारी के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाली कुमुद श्रीनिवासन उस कंपनी की मौजूदा अध्यक्ष हैं. जानिए कैस छुआ उन्होंने सफलता का यह आसमान...

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Kumud Srinivasan
Kumud Srinivasan

इंटेल इंडिया कंपनी में कर्मचारी के तौर पर पर शुरुआत करने वाली कुमुद श्रीनिवासन उसकी अध्यक्ष बन गई हैं. जानिए कैस छुआ उन्होंने सफलता का यह आसमान...

इन दिनों लोग जब किसी महिला राष्ट्रपति के बारे में बात करते हैं तो अक्सर उनके दिमाग में हिलेरी क्लिंटन का नाम आता है. कुमुद श्रीनिवासन वैसे तो किसी देश की मुखिया नहीं हैं, लेकिन वे इंटेल इंडिया की अध्यक्ष के तौर पर दुनिया में टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार कंपनी का संचालन करती हैं. कोलकाता में पली-बढ़ीं और वहां से इकोनॉमिक्स में डिग्री लेने वाली श्रीनिवासन ने ऐसा रास्ता चुना जो उनके शब्दों में युवाओं के लिए 'टिपिकल' था. वे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका रवाना हो गईं.

शुरू में वे एमबीए करना चाहती थीं, लेकिन बाद में उनकी दिलचस्पी कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग में हो गई. इस तरह वे तेजी से कामयाबी की सीढिय़ां तय करते हुए इंटेल इंडिया की अध्यक्ष बन गईं. श्रीनिवासन ने 1984 में साइराक्यूज यूनिवर्सिटी से इन्फॉर्मेशन ऐंड लाइब्रेरी स्टडीज में मास्टर्स की डिग्री ली. 1987 में इंटेल में आना उनके लिए कुछ हद तक 'एक घटना' ही थी. उसके बाद से वे इंटेल के मैन्युफैक्चरिंग और आइटी कंपनियों में बिजनेस और इन्फॉर्मेशन सिस्टम में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकी हैं.

वे कहती हैं, 'मैंने कर्मचारी के तौर पर शुरुआत की थी, पर जल्द ही मैनेजमेंट का काम संभालने लगी. उसके बाद इंटेल के ज्यादातर प्रमुखों की तरह मुझे भी तमाम तरह की जिम्मेदारियां मिलने लगीं. मेरी तरक्की होती गई. मैंने इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में शुरुआत की. तरक्की करके इंटेल के कई प्रोसेस और संगठनों में डिजिटल ट्रान्सफॉर्मेशन की ओर मुड़ गई. जब इंटेल इंडिया के अध्यक्ष का पद सामने आया तो मैंने उसे हासिल करने का फैसला किया, क्योंकि मुझे लगा कि यह पद मेरे लिए कई तरह से चुनौतीपूर्ण होगा. मुझे दोबारा उन लोगों में जाने का मौका मिलेगा, जहां मैं पैदा हुई थी और पली-बढ़ी थी. '

कंपनी में कड़ी मेहनत:
इंटेल में श्रीनिवासन पर कई तरह की जिम्मेदारियां हैं, जिनमें लीडरशिप की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. इसके अलावा वे कंपनी की रणनीति, मार्केट डेवलपमेंट के लिए नए तरीकों और सरकार, उद्योग और एकेडमिया के साथ संबंध बनाने का काम भी संभालती हैं. वे कहती हैं, 'मैंने इंटेल की फैक्टरियों में रहते हुए और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में सांस लेते हुए 21 साल गुजारे हैं. मैंने इंटेल के भीतर काम का स्तर ऊपर उठाने पर जोर दिया है. इससे हमारी तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ी है और कार्य की ऐसी संस्कृति पैदा करने की जरूरत बन गई है जिसमें हम यथास्थिति को चुनौती देते हुए आगे बढ़ सकें. हमारी यही संस्कृति हमें आगे बढऩे के लिए ताकत और विश्वास देगी.'

निरंतर आगे बढ़ने के बारे में वे बताती हैं, 'एक बार एक मेंटॉर ने मेरे काम करने के रवैए को, अनंत का पीछा करना बताया था, मैं मानती हूं कि मुझे सभी दिशाओं में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करना चाहिए यानी मैं जितना भी कुछ कर सकती हूं वह सब मुझे करना चाहिए. दूसरे शब्दों में कहें तो मुझे परिवार के सदस्य, और समाज के सदस्य के तौर पर अपनी पूरी ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए.''

सबसे बड़ी चुनौतियां:
श्रीनिवासन कहती हैं, 'यह एहसास किए बिना कि किसी की पत्नी और अभिभावक के तौर पर मैं खुद के साथ अन्याय कर रही हूं, अपने सपनों को पूरा करना हमेशा ही एक बड़ी चुनौती है. मैं पहले कह चुकी हूं कि अपराधबोध नारीत्व का अभिशाप है.' इस विषय में वे आगे कहती हैं, 'इतने वर्षों में यही अनुभव लेते हुए मैंने पर्याप्त रूप से अपना काम किया है और आगे की तरफ बढऩा सीखा है.'

युवाओं को उनकी सलाह:
श्रीनिवासन कहती हैं, 'अपने आप से पूछो, आप जो कर रहे हैं, उसे क्यों कर रहे हैं. इस क्यों का जवाब जानना जरूरी है, क्योंकि आपके जीवन में ऐसा भी समय आ सकता है जब आपको निराशा और झटकों का सामना करना पड़े. यह 'क्यों' शब्द उस समय भी सही रहेगा, भले ही नतीजा आपके मनमुताबिक न हो.'  श्रीनिवासन इसे बताने के लिए सिमोन सिनेक के मॉडल की मदद लेती हैं. यह मॉडल हमें सलाह देता है कि जब किसी लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हों तो पहले 'क्यों' फिर 'कैसे' और अंत में 'क्या' पर विचार करना चाहिए. श्रीनिवासन ने अपना करियर बनाने के लिए इसी मॉडल का अनुसरण किया है. लेकिन एक नेतृत्व विशेषज्ञ का उल्लेख करते हुए वे कहती हैं, 'हमारे करियर के रास्ते आम तौर पर घटनात्मक होते हैं.'

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