कहते हैं जहां चाह वहां राह. इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं स्नेहा लिंबगाओमकर. स्नेहा अपने पति के साथ केरल में रहती हैं. स्नेहा का पति सोशल वर्क में ग्रेजुएट है पर जब स्नेहा को पीएचडी करने का मौका मिला तो उसने उसका पूरा साथ देने की ठानी.
इस कपल ने मिसाल पेश करते हुए पीएचडी की फीस अदा करने के लिए रात में परांठे की दुकान चलानी शुरू की. यही नहीं, प्रेमशंकर ने दिल्ली के CAG ऑफिस की नौकरी छोड़ी, जिससे वो स्नेहा के साथ रह सके.
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टाइम्स ऑफ इंडिया से प्रेमशंकर ने कहा, 'इससे ना केवल हमारी दैनिक आवश्यकताएं पूरी होती हैं. साथ ही पैसा भी बचा पाते हैं जिससे स्नेहा साइंटिस्ट बन सके.'
इस कपल की शादी को 6 साल हो चुके हैं और दोनों ने एक-दूसरे के लिए काफी चीजें छोड़ी हैं. दोनों एक कमरे के किराए के घर में रहते हैं.
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स्नेहा अब यूनिवर्सिटी के बाद सीधे पति को सपोर्ट करने पहुचंती है. दोनों मिलकर परांठे, ऑमलेट और डोसा बेचते हैं.