राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को भारतीय विद्वानों के ब्रेन ड्रेन पर खेद जताते हुए इस परिहार्य प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'यह विडंबना ही है कि हमारी उच्च शिक्षा, जो विश्वस्तरीय विद्वान पैदा करने में सक्षम है, उसे छोड़कर छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों की ओर रुख कर रहे हैं.'
कलकत्ता विश्वविद्यालय के सालाना दीक्षांत समारोह के मौके पर उन्होंने कहा, 'इस परिहार्य प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए इस पर गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श करने की जरूरत है. प्रतिभावान छात्रों या प्रेरित शिक्षकों की यहां कोई कमी नहीं है. इस बात का प्रमाण यह है कि भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातकों ने नोबल पुरस्कार जीता है.'
इसी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे राष्ट्रपति इस समारोह के मुख्य अतिथि थे. उन्हें डी.लिट/कानून की डिग्री तथा आशुतोष मुखर्जी मेमोरियल मेडल प्रदान किया गया. एक साल पहले सर आशुतोष मुखर्जी की 150वीं वर्षगांठ पर इस पुरस्कार की घोषणा की गई थी.