एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, यूपी के ग्रामीण इलाकों में स्थित स्कूलों में चपरासी, क्लर्क और सफाई कर्मचारियों का नाम 10वीं और 12वीं की 2015-16 की बोर्ड परीक्षा की कॉपी जांच के लिए दिया गया था. इन्हें इन स्कूलों ने संबंधित विषय का एक्सपर्ट भी बताया.
यूपी बोर्ड के सेक्रेटरी शैल यादव का इस बारे में कहना था कि उन्होंने इस गलती को दूर करने के लिए स्कूल के प्रिंसिपल को लिखा है. प्रिंसिपल को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि वह ऐसे नामों को जल्द से जल्द हटाएं. यह घटना पिछले साल भी हुई थी.
नियम के मुताबिक, सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों को कॉपी जांच करने वाले एक्सपर्ट के नाम बोर्ड को भेजने होते हैं. नए सिस्टम के मुताबिक शिक्षकों के नाम, योग्यता, कार्य अनुभव और संबंधित स्ट्रीम का नाम यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.
वहीं, 2016 में होने वाले यूपी बोर्ड का एग्जाम काफी सख्ती से होनी की उम्मीद है. एक दावे के मुताबिक उन्हीं स्कूलों को परीक्षा सेंटर बनाया जाएगा जहां सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे.