एक ऐसी लड़की जिसने अपनी मेहनत के बलबूते आज वो मुकाम पा लिया जिसकी सारी दुनिया फैन है. उनकी इस कामयाबी के लिए फिक्की की तरफ से बेस्ट वुमेन बिजनेसपर्सन का अवॉर्ड भी मिल चुका है.
जानें कौन है पेट्रिशिया नारायण
जरा सोचिए एक लड़की जो अपना घर-परिवार छोड़ कर अपने मनचाहे लड़के से शादी कर जीवन बिताने सपना का देख उसके साथ चले जाती है, लेकिन वही लड़का उसकी जान का दुश्मन बन जाए तो उस पर क्या बीतेगी. ऐसा ही हुआ पेट्रिशिया के साथ. ऐसी हालात में कोई भी टूट कर बिखर जाए लेकिन पेट्रिशिया ने हिम्मत नहीं हारी. हर तरह के अत्याचारों को सहकर वह उठ खड़ी हुईं.
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वह खुद एक क्रिश्चियन थी और हिंदू लड़के से प्यार करने लग गई थी,जिसका नाम था नारायण. पेट्रिशिया ने जब अपनी और नारायण की शादी के बारे में घरवालों को बताया तो मानों घरवालों के पैरों तले जमीन फिसल गई. उनकी मां ने रो रोकर बुरा हाल कर दिया था.
पेट्रिशिया ने सोचा था कि मनपसंद लड़के के साथ शादी की है तो जिंदगी अच्छे से बितेगी लेकिन हालात बद से बदतर होते गए. नारायण अपने नशे की खब्त को पूरा करने के लिए पेट्रिशिया से पैसे मांगता जब वो नहीं दे पाती तब उसे सिगरेट से जलाता.
पेट्रिशिया दो बच्चों की मां बनी. एक लड़का और उससे छोटी लड़की. वहीं नारायण शराब और ड्रग्स के नशे में डूबने लगा. यहीं वक्त था जब जब पेट्रिशिया ने ठान लिया कि इस गंदगी में वह अपने बच्चों तक नहीं जाने देगी.
जब बनी बिजनेस वुमन
पेट्रिशिया को कुकिंग का बड़ा शौक था, लेकिन कभी इसको बिजनेस के तौर पर शुरू करने के बारे में सोचा नहीं था. वह नहीं चाहती थी कि वह किसी पर बोझ बनें. उन्होंने अपनी मां से बात की और एक ही दिन में खूब सारे जैम, अचार, केक बना डाले. उनकी मां अपने ऑफिस में ये सब सामान लेकर गई और कुछ घंटों में ही सारे सामान बिक गए. फिर क्या था वह और मेहनत करने लग गई.
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एक दिन उनके साथ हाथ का केक उनके पापा के दोस्त ने खाया. जिसके वह दीवाने हो गए. पापा के वो दोस्त दिव्यांगों के लिए एक स्कूल चलाते थे, और वो उस वक्त सामान बेचने के लिए चलती फिरती दूकान बांट रहे थे. लेकिन इस दूकान को लेने की एक ही शर्त थी कि इसमें उन दिव्यांग लोगों में से किसी दो को काम दिया जाए. पेट्रिशिया तुरंत मान गई.
वो मरीन बीच पर उस दूकान को लेकर गई. वहीं दिन भर में उनकी सिर्फ एक कॉफी 50 पैसे में ही बिकी थी. वह घर आकर खूब रोईं। तब उनकी मां ने समझाया कि तुमने 50 पैसे कमाए हैं, देखना कल से तुम्हारी दूकान अच्छी चलने लगेगी. अगले दिन पेट्रिशिया की दूकान से 6-7 हजार रुपए का सामान बिक गया.
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इस कमाई से पेट्रिशिया दोगुने उत्साह से काम पर लग गई. उनकी मेहनत और उनके बनाए हुए का स्वाद देखकर उनको एक कैंटीन में केटरिंग का ऑफर आया. उनकी कमाई बढ़ रही थी और बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे थे.
उनकी की बेटी और दामाद एक एक्सीडेंट में मारे गए. इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह हिला कर रख दिया. पेट्रिशिया ने अपनी बेटी की याद में एक रेस्टोरेंट खोला और उसका नाम अपनी बेटी के नाम पर रखा, 'संदीपा'. संदीपा को वो अपने बेटे के साथ मिलकर चलाती हैं. 50 पैसे से शुरुआत करने के बाद आज उनकी हर दिन की कमाई 2 लाख रुपए है.