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मैनेजमेंट कोटे के मुद्दे पर प्राइवेट स्कूलों में नाराजगी, रखी आदेश निरस्त करने की मांग

नर्सरी एडमिशन में मैनेजमेंट कोटे को लेकर दिए गए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बड़े बयान से प्राइवेट स्कूलों में नाराजगी है और वे इस पर कोर्ट जाने की धमकी दे रहे हैं.

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दिल्ली सरकार और स्कूल एसोसिएशन के बीच नर्सरी दाखिले का दंगल लंबा खिंच सकता है. दरअसल रविवार को दिल्ली सरकार ने अभिभावकों के साथ एक बैठक की थी. इस दौरान प्राइवेट स्कूलों पर मैनेजमेंट कोटा के नाम पर पैसे कमाने और दाखिले की प्रक्रिया में धांधली करने जैसे कई गंभीर आरोपों लगाए गए.

वहीं, इन आरोपों को निराधार बताते हुए स्कूल एसोशिएसन ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि सरकार प्राइवेट स्कूलों की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है.

बता दें कि दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि वह स्कूलों को दुकान नहीं बनने देंगे. मैनेजमेंट कोटा ही एक ऐसा चैनल था, जहां से बैकडोर एडमि‍शन हो सकते थे. कोर्ट के पिछले आदेश पढ़ने के बाद ही इस कोटे को हटाने का निर्णय लिया है. पिछले आदेशों में अदालत ने मैनेजमेंट कोटे को बनाए रखने की बात नहीं की है.

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का यह बड़ा बयान बेशक राजधानी के प्राइवेट स्कूलों पर कई सवाल खड़ा करता है. लेकिन स्कूल एसोसिएशन की मानें तो जिन 62 क्राइटेरिया को लेकर दिल्ली सरकार ने स्कूलों के खिलाफ इतना सख्त रुख अपनाया है, उसके तहत 15 से 20 स्कूलों ही आते हैं. जबकि दिल्ली में 1500 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं और ये पूरी तरह इन नियमों का पालन कर रहे हैं. प्राइवेट स्कूलों के मुताबिक, दिल्ली सरकार को सभी स्कूलों को एक चश्मे से नहीं देखना चाहिए.

दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के अध्यक्ष आर सी जैन का कहना है कि जिन स्कूलों ने नियम नहीं माने, सरकार उन्हें बुलाकर बातचीत कर सकती थी. लेकिन सभी स्कूलों पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है. वहीं एक्शन कमिटी फॉर अनएडेड पब्लिक स्कूल के चेयरमैन एस के भट्टाचार्य ने कहा कि किन सबूतों के आधार पर स्कूलों पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं.

प्राइवेट स्कूल ने दिल्ली सरकार के मैनेजमेंट कोटा खत्म करने के आदेश को अवैध बताते हुए न सिर्फ आदेश को मानने से इंकार किया है बल्कि प्राइवेट स्कूलों के काम में दखल देने की बजाय सरकारी स्कूलों के स्तर को बेहतर बनाकर नर्सरी क्लास शुरू करने की नसीहत दी है. दिल्ली सरकार को उनका चुनावी वादा याद दिलाने के साथ-साथ स्कूल एसोसिएशन ने शिक्षा निदेशालय को एक चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें आदेश को निरस्त करने की मांग रखी गई है. एसोसिएशन के मुताबिक अगर सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया तो फिर वे कोर्ट का रुख करेंगें.

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स्कूल एसोसिएशन के इन तल्ख तेवरों से साफ है कि इस बार भी नर्सरी एडमिश कानूनी दांव-पेंच में उलझेंगे. अब देखना यह होगा कि आदेश ना मानने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी देने वाली दिल्ली सरकार ऐसे स्कूलों पर क्या कार्रवाई करती है!

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