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नर्सरी के लिए NCERT जारी करेगा गाइडलाइन

नर्सरी एजुकेशन के लिए NCERT गाइडलाइन जारी करने वाला है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

एनसीईआरटी नर्सरी एजुकेशन में सुधार लाने के लिए जल्द ही गाइडलाइन जारी करने वाला है. जिसमें नर्सरी में पढ़ने के लिए बच्चे की उम्र तीन साल तय की जाएगी. साथ ही कहा गया है कि दाखिले की प्रक्रिया के दौरान मूल्यांकन और बातचीत शामिल नहीं होनी चाहिए.

वहीं  नर्सरी के लिए जिन शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी वह 12वीं पास होने चाहिए साथ ही उनके पास प्री-स्कूल एजुकेशन का डिप्लोमा भी होना चाहिए. इसी के साथ 4 घंटे की क्लास में टीचर और बच्चों का अनुपात 1:25 होना चाहिए. मतलब 25 बच्चों के लिए 1 टीचर क्लास में मौजूद रहे.

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आपको बता दें, ये नर्सरी शिक्षा की गाइलाइन की कुछ शर्तें हैं जो शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राज्य सरकार के साथ इस हफ्ते साझा की है. वहीं उन स्कूलों के प्री-स्कूल के रूप में जाना जाता है जिसमें  जो 3 साल से 6 साल के बच्चों के शिक्षा प्रदान करता है. इन्हें आमतौर पर आंगनवाड़ी, बलवाडी, नर्सरी, प्री-स्कूल, प्री- प्राइमरी, एलकेजी और यूकेजी कहा जाता है.

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आपको बता दें, वर्तमान में नर्सरी शिक्षा के लिए कोई मॉडल पाठ्यक्रम नहीं है. वहीं स्कूल पूरी तरह से स्वत्रंत हैं कि वह बच्चों को क्या और कैसे सिखाया जाना चाहिए. दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने नर्सरी दाखिले के लिए मानदंडों को परिभाषित किया है. जिसके लिए साल 2013 में 'महिला एवं बाल विकास मंत्रालय' ने प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए एनसीईआरटी दस्तावेज पर पहली बार नीति जारी की थी. इस नीति में बताया गया था कि बच्चों के लिए प्री-स्कूल दो साल के लिए होना चाहिए.

नर्सरी एडमिशन: दाखिला मुश्किल या नियम

एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने बताया आज देश भर के प्री-स्कूल में पढ़ाई काफी करवाई जा रही है जो छोटे बच्चों लिहाज से ठीक नहीं है. वहीं नर्सरी स्कूलों के लिए जारी इन गाइडलाइन से हम उन स्कूलों को शैक्षिक दृष्टिकोण का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं. ताकि बच्चों को पढ़ाई बोझ न लगे.

वहीं ये गाइड लाइन प्री-स्कूल के बुनियादी ढांचे को दर्शाती है. गाइड लाइन में बताया गया है कि स्कूल की बिल्डिंग ट्रैफिक, तालाबों, कुओं,गड्ढों, खुली नालियों से दूर होने चाहिए. वहीं खेल मैदान, लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय और परिसर में सीसीटीवी कैमरे होना चाहिए. वही ये गाडनलाइन स्कूल के मानक आकार को भी परिभाषित करती है. जिसमें बताया गया है कि 25 बच्चों की क्लास 8 x 6 वर्ग मीटर की होनी चाहिए. इसी से साथ स्कूलों के स्टाफ से लेकर प्रिंसिपल की जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया है.  साथ ही कहा गया है कि स्टाफ का  पुलिस वेरिफिकेशन होना चाहिए.

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प्री स्कूलों में बच्चों को कैसे दी जाए शिक्षा

गाइडलाइ में प्री-स्कूल स्कूलों में पहले साल और दूसरे साल में तीन लक्ष्यों को बताया गया है. ताकि बच्चे शुरुआती पढ़ाई को सही तरीके से समझ पाए. इसमें बच्चों को अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने, इफेक्टिव कम्यूनिकेटर और पर्यावरण से जुड़ने के बारे में पढ़ाया जाना जरूरी है.

आपको बता दें, प्री-स्कूल के पहले साल में बच्चों की शिक्षा के लिए जारी एनसीईआरटी के दस्तावेज में 17 ऐसी बातें बताई गई है जो बच्चों को हर प्री-स्कूल में सीखानी चाहिए.

जिसमें पहले साल में बच्चे को सुनना, प्रतिक्रिया देना औरआई कॉन्टेक्ट सीखाना जरूरी है. वहीं दूसरे साल में बच्चे को "कौन", "क्या", "जहां" जैसे सरल प्रश्नों का जवाब देना सीखाना चाहिए.

आपको बता दें, अभी ये गाइडलाइन जारी नहीं हुई है. राज्य सरकार को एनसीईआरटी को दिशानिर्देशों और पाठ्यक्रमों पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए दो सप्ताह लगेंगे. जिसके बाद इस गाइडलाइन को अंतिम रूप दिया जाएगा.

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