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स्वदेशी सुपर कंप्यूटर बनाएगी मोदी सरकार, तीन चरणों का प्लान तैयार

नेशनल सुपर कंप्यूटर्स मिशन के शुरूआती दो चरणों में उच्च गति वाले इंटरनेट स्विचों और कंप्यूटर नोड्स जैसे उप तंत्रों के डिजाइन एवं निर्माण का काम स्वदेशी तौर पर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

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मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत अब भारत में सुपर कंप्यूटर बनाए जाएंगे. इसकी शुरुआत तीन चरण वाले कार्यक्रम के तहत होगी. 

नेशनल सुपर कंप्यूटर्स मिशन के शुरूआती दो चरणों में उच्च गति वाले इंटरनेट स्विचों और कंप्यूटर नोड्स जैसे उप तंत्रों के डिजाइन एवं निर्माण का काम स्वदेशी तौर पर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. 4500 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को मार्च 2016 में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने मंजूरी दी थी. अब प्रोजेक्ट के प्रस्ताव का अनुरोध अंतिम चरणों में है. इसपर सीडैक, पुणे काम कर रहा है.

NSM मिशन के तहत लगभग 50 सुपर कंप्यूटर तैयार करने हैं. सरकार चाहती है कि देश भर के सभी साइंटिफिक रिसर्च के लिए ये सुपर कंप्यूटर उपलब्ध कराए जाएं.

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इस प्रोजेक्ट पर नजर रखने वाले Ministry of Science and Technology के सीनियर साइंटिस्ट मिलिंद कुलकर्णी ने कहा है कि हम प्लानिंग कर रहे हैं कि पहले चरण में 6 सुपर कंप्यूटर तैयार हो जाएं. पहले चरण में तीन सुपर कंप्यूटर आयात किए जाएंगे. बाकी तीन सुपर कंप्यूटरों के हिस्सों का निर्माण विदेश में किया जाएगा, लेकिन उन्हें जोड़ा भारत में जाएगा. सिस्टम के समग्र डिजाइन की जिम्मेदारी सीडैक पर होगी. दो सुपर कंप्यूटरों की क्षमता शीर्ष 2 पेटाफ्लॉप्स की होगी जबकि शेष सुपर कंप्यूटरों की क्षमता 500 टेराफ्लॉप्स की होगी. फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन्स पर सेकेंड (फ्लॉप्स) गणनात्मक क्षमता को मापने की एक मानक इकाई है.

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वहीं, इन छह सुपर कंप्यूटरों को चार आईआईटी- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, कानपुर, खड़गपुर और हैदराबाद में लगाया जाएगा. दो अन्य को पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में लगाया जाएगा.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि इन्हें इस साल के अंत तक हासिल कर लेने का लक्ष्य है. दूसरे चरण में उच्च गति इंटरनेट स्विच, कंप्यूट नोड और नेटवर्क सिस्टमों का निर्माण भारत में होगा. कुलकर्णी ने कहा कि तीसरे चरण में लगभग पूरा सिस्टम भारत में बनाया जाएगा.

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भारत ने वर्ष 1988 में अपना खुद का सुपरकंप्यूटिंग मिशन शुरू किया था. इसमें प्रथम श्रेणी के परम कंप्यूटर बनाए गए थे. यह मिशन 10 साल तक चला और वर्ष 2000 के बाद से परियोजना में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है. इस समय भारत के विभिन्न संस्थानों में लगभग 25 सुपरकंप्यूटर हैं.

 

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