लगभग तीन दशकों से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का हिस्सा होने के नाते प्रोफेसर एस.के. सोपोरी को मौजूदा शिक्षा व्यवस्था की खामियों के साथ-साथ बेकार जा रही विशाल क्षमता का भी पूरी तरह अंदाजा है. देश के जाने-माने रिसर्चर और शिक्षाविद् रहे सोपोरी इस 45 साल पुरानी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के रूप में अपनी उपलब्धियों को सार्थक रिसर्च के रास्ते की बाधाओं को गिराने के संदर्भ में ही आंकते हैं. वे कहते हैं, “हम अपने ही स्कूलों और केंद्रों के बीच आपस में और भारत तथा दुनिया की अन्य यूनिवर्सिटीज के साथ सीमाओं को तोड़ रहे हैं, ताकि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक मुद्दों की पहचान करने के लिए संवाद स्थापित कर सकें. अंतर-विषयक और विषयेतर नजरिए के चलते सभी विषयों की फैकल्टी साथ आकर संवाद कर रही हैं और सीखने की प्रक्रिया में नए प्रयोग कर रही हैं. सीखने और शिक्षा में कोई बांटने वाला नजरिया नहीं चल सकता. धारणात्मक रूप से भले ही हों लेकिन अब दीवारें व्यवहार में कतई नहीं हैं. हमारी लाइब्रेरी की ओर देखिए. वह बताती है कि हमने सभी संदर्भों में तरक्की की है.”
अरावली पहाडिय़ों में एक हजार एकड़ में फैला जेएनयू कुछ साल से अध्ययन और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्थानों में से है. इंडिया टुडे समूह-नीलसन बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे में इस साल देश की टॉप तीन यूनिवर्सिटीज में आकर जेएनयू ने एक बार फिर से अपनी शैक्षणिक प्रामाणिकताओं को साबित किया है. यह यूनिवर्सिटी लंबे समय से ह्युमेनिटीज और साइंस, दोनों ही ब्रांच में अपनी रिसर्च क्षमताओं, उच्चस्तरीय ढांचागत सुविधाओं और विचारों की स्वतंत्रता से भरे अध्ययन माहौल के लिए जानी जाती रही है.
एकेडमिक्स को एक विषयेतर नजरिया देने की पहल के हिस्से के तौर पर यूनिवर्सिटी ने कई सारे इंटरडिसिप्लिनरी समूह स्थापित किए हैं. वाइस चांसलर सोपोरी बताते हैं, “उच्च शिक्षा की नई चुनौतियों के साथ तालमेल बैठाए रखने की कोशिश के तहत ऐसे कई सारे समूह बनाए गए हैं. उनका मकसद विभिन्न केंद्रों और स्कूलों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना है जिससे अध्ययन के उच्चतम स्तर को हासिल किया जा सके.”
यूनिवर्सिटी की एक और कल्पनाशील तथा दूरगामी पहल यूनिवर्सिटी विद पोटेंशियल फॉर एक्सीलेंस (यूपीई) को स्थापित करने की रही है. यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शीर्ष स्कीम है. इसका मतलब यह है कि उच्च शिक्षा के इस शीर्ष वित्तीय नियामक ने जेएनयू को उसके उच्चस्तरीय प्रदर्शन के आधार पर 60 करोड़ रु. का फंड जीनॉमिक्स और प्रोटियोमिक्स के क्षेत्र में और वैश्वीकरण, राष्ट्रीय विकास जैसे विषयों में रिसर्च के लिए और अर्थशास्त्र, राजनीति, समाज तथा संस्कृति की अंतरफलकीय शिक्षा प्रणाली के लिए दिया है. सोपोरी कहते हैं, “मुझे यह बताते हुए खुशी है कि इस योजना के तहत ई-गवर्नेंस का इस्तेमाल करते हुए 350 फैकल्टी सदस्यों के 164 अंतर-विषयक प्रोजेक्ट ऑनलाइन प्रोसेस किए गए हैं.”
वे यह भी बताते हैं कि जेएनयू ने छात्रों के लिए अपनी पेशकश का दायरा बढ़ाते हुए कई अनूठे और बढिय़ा सोच-विचार के साथ कोर्स शुरू किए हैं. “हमारे शैक्षणिक कार्यक्रमों के रिवीजन और अपडेट करने की प्रक्रिया लगातार चलती है. इस तरह से हमने कई नई शुरुआत की है तो कई पुराने को अपग्रेड किया है.”
यह यूनिवर्सिटी अब तक उपेक्षित रहे कई क्षेत्रों में पीएचडी पाठ्यक्रम पेश कर रही है, जैसे कि पूर्वोत्तर भारत अध्ययन, मानवाधिकार अध्ययन, ऊर्जा अध्ययन और सार्वजनिक स्वास्थ्य. एनईटी या नेट उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के लिए मॉलिक्युलर मेडिसिन में प्री-पीएचडी/पीएचडी फिर से शुरू कर दी गई हैं. वह नैनो विज्ञान में भी पीएचडी उपलब्ध करा रहा है. यूनिवर्सिटी अब मॉलिक्यूलर मेडिसिन, कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी ऐंड कॉम्प्लेक्स सिस्टम्स में एकीकृत एमएससी-पीएचडी भी उपलब्ध कराएगी. ह्युमेनिटी के क्षेत्र में यूनिवर्सिटी विमेन स्टडीज, कोरियन स्टडीज, भेदभाव और एक्सक्लूजन और मीडिया स्टडीज में एमफिल तथा पीएचडी कार्यक्रम भी उपलब्ध करा रही है. छात्र दर्शनशास्त्र में एमए (2013-14 के अकादमिक सत्र से इसे लागू किया गया) और श्रम अध्ययन में भी इसी तरह का कार्यक्रम का चयन कर सकते हैं.
साथ ही देश में कौशल विकास की मांग के साथ तालमेल बैठाते हुए यूनिवर्सिटी ने सभी छात्रों के लिए इस तरह के समर्थ कोर्स शुरू किए हैं. प्रो. सोपोरी कहते हैं, “भाषा संबंधी सशक्तिकरण कार्यक्रम अंग्रेजी भाषा में बुनियादी लेखन, संवाद कौशल और एकेडमिक लेखन में कुशलता हासिल करने के लिए भी जेएनयू छात्रों को कोर्स उपलब्ध करा रहा है.”
इसी पहल के अंग के रूप में जेएनयू अपने छात्रों को गणित और कंप्यूटेशन में प्रवीणता हासिल कराने में भी मदद कर रहा है. सोपोरी कहते हैं, “हम अपने छात्रों को गणितीय, सांख्यिकीय और कंप्यूटेशन फ्रेमवर्क के इस्तेमाल में भी एक हद तक योग्य तथा मजबूत बना देना चाहते हैं.”
प्रो. सोपोरी बड़े संतोष के साथ जेएनयू की हाल की उपलब्धियां गिनाते हैं. एकेडमिक मोर्चे पर उन्होंने कहा, “हमने देश की अन्य यूनिवर्सिटीज के साथ मिलकर राष्ट्रीय महत्व की रिसर्च प्रोजेक्ट्स को हाथ में लेना शुरू किया है.” यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर, यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू और सिक्किम यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर जेएनयू जलवायु परिवर्तन पर एक इंटर-यूनिवर्सिटी समूह में भी शामिल है.
जेएनयू दूसरी पीढ़ी के जैव-ईंधन के लिए भारत-अमेरिकी जैव-ऊर्जा कंसोर्शियम (आइयूएबीसी) का भी हिस्सा है. इसका नेतृत्व जेएनयू ही कर रहा है और इसमें आइआइटी-मुंबई पार्टनर इंस्टीट्यूट है तो वाशिंगटन यूनिवर्सिटी भी उसमें भागीदार है. कई अन्य भारतीय इंस्टीट्यूट्स के साथ मिलकर जेएनयू इंटर-यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट की बॉडी के रूप में पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों पर भी काम कर रही है. इसका कार्यक्षेत्र भारतीय हिमालयी क्षेत्र में पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और टिकाऊ विकास को एकीकृत करने का है.
इसके अलावा शायद यह भारत की पहली बैरियर-फ्री यूनिवर्सिटी भी है, यानी इसमें शारीरिक रूप से बाधित छात्रों को यूनिवर्सिटी के ढांचे का इस्तेमाल करने के लिए किसी की सहायता लेने की जरूरत नहीं पड़ती. यही नहीं, इसका कैंपस खाने-पीने के शौकीनों का एक अड्डा बन गया है, जहां खाने के कई ठिकाने उपलब्ध हैं. ये ठिकानें कम दामों पर स्वादिष्ट पारंपरिक भारतीय भोजन के अलावा चीनी और तिब्बती व्यंजनों की लंबी रेंज उपलब्ध कराते हैं.
स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआइएस) में शोध छात्र रीतेश राय कहते हैं कि जेएनयू में उनका अनुभव जिंदगी बदलने वाला रहा है. वे कहते हैं, “मैं ग्रामीण पृष्ठभूमि से हूं. जेएनयू ने मुझे न केवल भारत का बल्कि एक वैश्विक समाज का आधुनिक नागरिक बनने में मदद की है. यहां तक कि यहां के कैंपस की वैचारिक रूप से बहुत दृढ़ छात्र राजनीति भी उसी मुख्यधारा और शिक्षा का हिस्सा है जो छात्रों की चेतना को आगे बढ़ाती है.
कोर्स कुछ हट के
द्य नॉर्थ-ईस्ट इंडिया स्टडीज में पीएचडी
द्य कोरियन स्टडीज, विमेन स्टडीज में एम.फिल/पीएचडी
द्य मॉलिक्यूलर मेडिसिन में प्री-पीएचडी/पीएचडी
हाल की उपलब्धियां
दूसरी पीढ़ी के जैव-ईंधन के लिए भारत-अमेरिकी जैव-ऊर्जा कंसोर्शियम (आइयूएबीसी) का नेतृत्व जेएनयू ही कर रहा है और इसमें आइआइटी-मुंबई तथा वाशिंगटन यूनिवर्सिटी पार्टनर हैं.
पूर्व छात्र
अली जिदान
पूर्व प्रधानमंत्री
लीबिया
सीताराम येचुरी
महासचिव
सीपीएम
निर्मला सीतारमन
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री
योगेंद्र यादव
आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और चुनाव विश्लेषक
मजेदार बात
खाने के शौकीनों के लिए यह स्वर्ग है. जेएनयू में खाने के कई अड्डे हैं, जिनमें बहुत कम दाम पर बेहद लजीज भोजन मिल जाता है.