सेंट्रल ब्यूरो इनवेस्टिगेशन (सीबीआई) के भीतर चल रही कलह के बीच आखिरकार सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की छुट्टी (फोर्स लीव) पर भेज दिया गया है.
जिसके बाद सीबीआई ने एम नागेश्वर राव को चीफ की जिम्मेदारी दे दी गई है. वह 5 साल से सीबीआई में ही ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर हैं. बता दें, नागेश्वर राव ने बुधवार सुबह ही अपना कार्यभार संभाल लिया था.
जानते हैं- कौन हैं नागेश्वर राव
नागेश्वर राव तेलंगाना के वारंगल जिले के मंगपेट गांव के रहने वाले हैं. वह साल 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से केमिस्ट्री में पोस्ट- ग्रेजुएशन की किया. जिसके बाद उन्होंने मद्रास आईआईटी में अपनी रिसर्च की.उनकी छवि कठोर मानी जाती है. जैसे ही उन्होंने सीबीआई चीफ की कमान संभाली, उसके बाद उन्होंने सीबीआई के दफ्तर के 10वें और 11वें फ्लोर को सील कर दिया.
मिले मेडल, क्राइम ब्रांच में अहम योगदान
नागेश्वर राव अपने बेहतरीन काम कई मेडल से सम्मानित हो चुके हैं. जिसमें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल, विशेष कर्तव्य मेडल और ओडिशा गवर्नर मेडल शामिल है. सबसे पहले 1989-90 में तलचर, उड़ीसा में एसडीपीओ के पद पर उनकी पोस्टिंग हुई थी. उन दिनों तलचर को कोयले की तस्करी और आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता था, लेकिन इस बीच उनके काम को काफी सराहा गया. उन्होंने स्थिति को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया था.
वह चार जिलों, मयूरभंज, नबरंगपुर, बरगढ़ और जगतसिंहपुर के एसपी रहे हैं, इसी के साथ वह राउरकेला रेलवे, कटक में रेलवे के साथ-साथ क्राइम ब्रांच के एसपी रह चुके हैं.
आपको बता दें, वह पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने साल 1996 में जगतसिहंपुर जिले में हुए एक बलात्कार के मामले का पता लगाने के लिए क्राइम इन्वेस्टिगेशन में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया था. क्राइम ब्रांच में उनका अहम योगदान है.