भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहे विकास और भारत- अमेरिका संबधों में सुधार के बावजूद भारतीय भाषाओं में अमेरिकी छात्रों का रुझान लगातार घट रहा है.
दक्षिण एशिया के एक विशेषज्ञ ने मॉडर्न लैंग्वेज एसोसिएशन (एमएलए) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि अमेरिकी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में छात्र भारतीय भाषाओं में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, जबकि अरबी, चीनी या कोरियाई भाषाओं में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
अमेरिका में 9/11 के हमले के परिणामस्वरूप अमेरिकियों में अरबी भाषा के अध्ययन के प्रति रुझान बढ़ा है, लेकिन भारतीय भाषाओं के साथ ऐसा नहीं है. आयर्स ने बताया कि भारत की आर्थिक प्रगति का भी भारतीय भाषाओं के अध्ययन पर वैसा प्रभाव नहीं पड़ा, जैसा कि जापानी, चीनी और कोरियाई भाषाओं में देखा गया.
सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2013 में विदेशी भाषाओं में पंजीकरण में वर्ष 2009 की अपेक्षा 6.7 फीसदी तक की गिरावट आई है. केवल चार विदेशी भाषाओं -कोरियन, अमेरिकी संकेत भाषा, पुर्तगाली और चीनी- में पंजीकरण में वृद्धि देखी गई.
अमेरिका में सर्वाधिक अध्ययन की जाने वाली विदेशी भाषाओं में स्पेनिश (लगभग 8,00,000 पंजीकरण), और फ्रांसीसी (लगभग 2,00,000 पंजीकरण) रही हैं.
इनपुट- IANS