बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताब में एक बड़ी गलती सामने आई है. जिसमें राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को उल्टा छापा दिखाया गया है. बिहार स्टेट टेक्सटबुक पब्लिशिंग कॉरपोरेशन (BSTBPC) ने तीसरी कक्षा की किताब में ये गलती की है.
हिदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कक्षा तीसरी की हिंदी की किताब "पर्यावरण और हम" में इस गलती को नोटिस किया गया है. किताब में तिरंगा को गलत दर्शाया गया है जिसमें ध्वज के शीर्ष पर हरे रंग के साथ देखा गया है और नीचे केसरिया रंग छाप दिया है. आपको बता दें, ये गलती किताब के लास्ट पेज पर है. जिसमें राष्ट्रगान छपा हुआ जिसे उल्टे हाथ की तरफ गलत ढंग से तिरंगा दर्शाया गया है.
जिला सर्व शिक्षा अभियान के प्रमुख के यूके सिंह ने कहा, "यह प्रकाशक और प्रिंटर की ओर से एक गलती है, संबंधित अधिकारियों को गलत किताबें वापस पाने और सही प्रदान करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं. आपको बता दें, ये किताब "पर्यावरण और हम" पार्ट वन-1 साल 2016 का विकसित एक नवीनतम और संशोधित संस्करण है.
वहीं प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अरुण कुमार चौधरी ने (SCERT) निदेशक से अनुरोध किया है कि वे किताब के बैक कवर पर बनी तिरंगे की उल्टी तस्वीर को हटाने और सुधारने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाएं. उन्होंने कहा कि छात्रों को सही जानकारी देना आवश्यक है.
Gaya: National flag printed upside down on a 3rd standard Bihar state textbook. UK Singh, District Sarv Shiksha Abhiyan head says, "It's a mistake on the part of publisher & the printer, concerned authorities have been directed to get back the wrong books & provide correct ones" pic.twitter.com/rh490XNlNE
— ANI (@ANI) June 23, 2019
यहीं नहीं बैक कवर पर लिखे गए राष्ट्रगान में के शब्दों में भी गलती देखी गई. चौधरी के अनुसार 'हिंदी' अक्षर के ऊपर एक डॉट, जिसे "अनुस्वार" कहा जाता है. वह नहीं लगाया है. अनुस्वार का प्रयोग अक्षरों के बीच में- m या n की ध्वनि को प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है. राष्ट्रगान में संबंधित श्लोक का उल्लेख करते हुए- "तब सब मांगे जगे", उन्होंने कहा कि "मांगे" शब्द में कोई "अनुस्वार" नहीं था, जिसके कारण इसे बच्चे "मागे" पढ़ रहे थे.
दरभंगा के मूल निवासी चौधरी गया के अमस ब्लॉक में एक प्राथमिक विद्यालय पहाड़पुर में शिक्षक के रूप काम करते है. बिहार की किताब में गलती से पहने उन्होंने BSTBPC की ओर से छपी किताबों में गलतियों की ओर इशारा किया था. जिसके बाद गलतियों को ठीक कर लिया गया था.