पाकिस्तान को छोड़ कर सार्क देशों के छात्र भी अब जेईई में पास होकर आईआईटी में पढ़ाई कर सकते हैं. यानी भारत के पड़ोस के नौ देशों के छात्र दुनिया में अपनी पहचान रखने वाले भारतीय तकनीकी संस्थान यानी आईआईटी में दाखिला ले सकेंगे.
इसके लिए उनको संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी जेईई एडवांस की परीक्षा को पास करना होगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अब कई एशियाई और कुछ अफ्रीकी देशों तक जेईई एडवांस का दायरा बढ़ा दिया है.
इन देशों के स्टूडेंट को मिलेगा मौका
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक अफगानिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया के छात्रों को इस परीक्षा में पास होकर आईआईटी में दाखिला लेने का रास्ता खोला है. पाकिस्तान को छोड़ कर सार्क के सभी देश इसमें शामिल हैं.
सरकार ने इस बाबत आईआईटी बांबे को नेशनल आर्डिनेटर बनाया है. जल्दी ही आईआईटी के विशेष दल इन देशों की यात्रा कर वहां भारतीय दूतावासों के जरिये संस्थानों से बातचीत करेंगे. वहां जेईई एडवांस के एग्जाम आयोजित किये जाएंगे. इसके लिए जगह, समय, छात्रों की जरूरतों और सुविधाओं पर बातचीत के लिए संबंधित देशों की सरकारों के साथ ही दूतावास स्तर पर बातचीत होगी. ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र यहां आकर अपनी विशिष्ट पढ़ाई कर सकें.
इस नई परियोजना के मुख्य बिंदु
विदेशी छात्रों की पढ़ाई का खर्चा वो खुद वहन करेंगे, वहां की सरकार चाहे तो उनको वजीफा दे सकती है.
विदेशी छात्रों की सीटें सुपर न्यूमेरेरी कोटे से होंगी यानी भारतीय छात्रों पर इसका कोई असर नहीं होगा.
पढ़ाई और अन्य सुविधाओं में भारतीय और विदेशी छात्रों को समानता होगी, किसी से किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं होगा.
यानी सरकार को भरोसा है कि इस नई नीति से भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थानों की पहुंच और कीर्ति दुनिया भर में बढ़ेगी. वैसे भी इन संस्थानों के छात्रों ने दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी अलग सोच से अलग पहचान बनाई है. अब इसी फेहरिस्त में विदेशियों के नाम भी शामिल होंगे.