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Final Year Exam: छात्रों का हित किसमें है ये छात्र तय नहीं कर सकते- SC

देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों का हित किसमें है ये छात्र तय नहीं कर सकते. इसके लिए वैधानिक संस्था है. छात्र ये सब तय करने के काबिल नहीं हैं.

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यूजीसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
यूजीसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

यूजीसी की ओर से इम्तेहान टालने की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली बेंच सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने इस मामले में सरकार से पूछा कि क्या यूजीसी के आदेश और निर्देश मेें सरकार दख़ल दे सकती है?

इसके अलावा सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की - छात्रों का हित किसमें है ये छात्र तय नहीं कर सकते. इसके लिए वैधानिक संस्था है. छात्र ये सब तय करने के काबिल नहीं हैं. सरकारें बस दो ही काम कर सकती हैं अव्वल तो इम्तहान कराने में खुद को अक्षम बताते हुए हाथ खड़े कर दें या फिर पिछली परीक्षा के नतीजे के आधार पर रिजल्ट घोषित कर दें.

महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कह दिया है कि आज की तारीख में परीक्षाएं कराना मुमकिन नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार ये कह सकती है कि बिना परीक्षा के सबको पास किया जाएगा. अगर हम ये मान लें तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट डीके दातार ने कहा कि यूजीसी ने 6 जुलाई से परीक्षा का फरमान जारी करने से पहले विश्वविद्यालयों से कोई बातचीत नहीं की. इस मामले में पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि 13 जुलाई को स्टेट डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी ने प्रस्ताव पास किया है कि परीक्षा ना कराई जाए. बता दें कि UGC द्वारा ग्रेजुएशन थर्ड ईयर के एग्जाम 30 सितंबर तक कराने का आदेश देने के मामले में ये सुनवाई हो रही है. परीक्षा का विरोध कर रहे याचिकाकर्ता छात्रों का तर्क है कि दिल्ली और महाराष्ट्र ने परीक्षा रद्द कर दी है.

बता दें कि याचिकाकर्ताओं में COVID पॉजिटिव का एक छात्र भी शामिल है, उसने कहा है कि ऐसे कई अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो या तो खुद या उनके परिवार के सदस्य COVID पॉजिटिव हैं. ऐसे छात्रों को 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है.

देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के करीब 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी की गई संशोधित गाइडलाइंस को रद्द करने की मांग की है. यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश के सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सितंबर से पहले करा लें. छात्रों ने अपनी याचिका में मांग की है कि फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द होनी चाहिए और छात्रों का रिजल्ट उनके पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर जारी किया जाना चाहिए.

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