लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार एक नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है. ऐसे में क्या माना जाए कि सालों से चली आ रही लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति अब खत्म हो गई है और देश की अपनी शिक्षा नीति शुरू हो गई है. इस विषय पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आजतक से खास बातचीत की.
रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अब बच्चे का रिपोर्ट कार्ड नहीं बनेगा, बल्कि उसका प्रोग्रेस कार्ड होगा. स्कूलों की स्ट्रीम पर उन्होंने कहा कि छात्रों पर निर्भर करता है कि वो क्या विषय लेना चाहता है. अब वो इंजीनियरिंग के साथ संगीत भी ले सकता है.
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उन्होंने कहा कि यह दुनिया की सबसे ज्यादा परामर्श के बाद बनी नीति है. छात्रों, शिक्षाविदों और आम लोगों से चर्चा होने के बाद शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को फिर पब्लिक डोमेन में डाला गया. जिस पर करीब ढाई लाख से ज्यादा लोगों के सुझाव आए, उसके बाद यह नई शिक्षा नीति बनी है. स्कूली शिक्षा हो या उच्च शिक्षा दोनों में ही बड़े बदलाव किए गए हैं.
विशेषज्ञों के विश्लेषण के बाद उन्होंने सुझाव दिए कि बच्चे का मस्तिष्क 3 साल से लेकर 6 साल तक विकसित होता है. उस बच्चे को हम खेल-खेल में तमाम गतिविधियों के माध्यम से उसका सर्वांगीण विकास करेंगे. अब हमनें 5+3+3+4 फॉर्मेंट तैयार किया है. इसमें हम बच्चों को बुनियादी शिक्षा के जरिए उसका सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं.
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शिक्षा को रोजगार रोजगारपरक बनाने का निर्णय भी ऐतिहासिक है. अब उसकी प्रारंभिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में होगी. भारत की 22 भारतीय भाषाएं हैं. अब छात्र अपनी भाषा में पढ़ेगा. पांचवीं तक मातृभाषा रखी गई है, लेकिन छठी क्लास से व्यवसायिक शिक्षा को शुरू किया है. उसमें इंटर्नशिप भी रखी गई है जब छठी से बारहवीं तक जाएगा तो वह कौशल विकास की तरफ आगे बढ़ेगा नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया गया है.