उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पिछले साल संपन्न हुए दिल्ली न्यायिक सेवा में 15 सफल अभ्यर्थियों का चयन बरकरार रहेगा. न्यायालय ने दूसरे परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की फिर से जांच के बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से जवाब मांगा है.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत ने दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह से कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त करें कि क्या असफल अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की फिर से जांच की जा सकती है या नहीं.
पीठ ने सुझाव दिया था कि शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से सारे मामले में गौर करने का अनुरोध किया जा सकता है. पीठ ने कहा था कि इस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को नहीं छुआ जाएगा और न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति सिर्फ इस पहलू पर गौर करेगी कि क्या और उपयुक्त अभ्यर्थियों का चयन किया जा सकता है.
इससे पहले पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशंस की जनहित याचिका पर इस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों से भी जवाब मांगा था. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2014 में आयोजित न्यायिक सेवाओं की परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं के आकलन में मनमानी की गई थी.
पीठ ने कहा था कि सारी उत्तर पुस्तिकाओं के पुर्नमूल्यांकन के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति करने से पहले इंटरव्यू के लिये चुने गये 15 अभ्यर्थियों का पक्ष भी सुनना चाहती है.
न्यायालय ने दो नवंबर को सुझाव दिया था कि इस परीक्षा की सारी उत्तर पुस्तिकाओं का पुर्नमूल्यांकन शीर्ष अदालत के किसी पूर्व न्यायाधीश से कराया जा सकता है.
याचिका दायर करने वाले संगठन के वकील प्रशांत भूषण का कहना था कि इस सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में 9033 छात्रों ने हिस्सा लिया था जिसमें से 659 छात्र पिछले साल 10 और 11 अक्तूबर को संपन्न मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे.
इस संगठन ने यह भी कहा था कि इस सेवा की मुख्य परीक्षा के परिणाम करीब आठ महीने बाद एक मई, 2015 को घोषित किए गए जिसमें 80 रिक्त पदों के लिये साक्षात्कार हेतु सिर्फ 15 छात्रों का ही चयन किया गया. इनमें सामान्य वर्ग के 13 और आरक्षित वर्ग के दो छात्र थे.
भूषण ने यह भी कहा था कि 80 रिक्त स्थानों पर नियुक्तियों के लिये सिर्फ 15 छात्रों को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है जबकि इसमें साक्षात्कार के लिए चयनित नहीं किए गए कम से कम 68 अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने दूसरे राज्यों की न्यायिक सेवा परीक्षाओं को उत्तीर्ण किया है और इसमें से अधिकांश दूसरे राज्यों में पीठासीन न्यायाधीश हैं.
संगठन ने दिल्ली न्यायिक सेवा, 2014 की मुख्य परीक्षा के एक मई को घोषित परिणाम निरस्त करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.
इनपुट: भाषा