दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. अधिकतर स्कूल बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है जिसमें छात्र अपने जान को दांव पर लगाकर पढ़ाई करने जाते हैं.
दिल्ली के नरेला इलाके के सनौठ गांव में स्थित सर्वोदय विद्यालय की स्थिति दयनीय है. जिसको देखते हुए शिक्षा विभाग ने 30 अगस्त को स्कूल को पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने का ऑर्डर दिया था. लेकिन गांव के लोग और स्कूल प्रिंसिपल ने नई बिल्डिंग की स्थिति पुराने बिल्डिंग से ज्यादा खराब होने की वजह से मना कर दिया.
सर्वोदय स्कूल में कुल 700 स्टूडेंट्स पढ़ते हैं जबकि स्कूल की कैपेसिटी मात्र 300 है. लड़के- लड़की और स्टाफ के लिए केवल दो शौचालय बने हैं. हाल ही में बनी नई बिल्डिंग की दीवारें अभी से ही झड़ने लगी हैं. इसके अलावा क्लासरूम में पानी टपकता है. यही नहीं स्कूल ग्राउंड में जंगली घास उगे हुए हैं जिससे कोई भी खतरनाक सांप जैसा जानवर छात्रों को नुकसान पहुंचा सकता है.
गांव के लोग काफी गुस्से में हैं और उन्होंने शिक्षा विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नए स्कूल के निर्माण में विभाग ने जितना भी भ्रष्टाचार किया है उसका ब्यौरा दें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों में वह तब तक शिफ्ट नहीं करेंगे जब तक कि उन्हें फायर और फ्लड की एनओसी नहीं मिल जाती.
सामाजिक फेडरेशन ऑफ नरेला के कार्यकर्ता जोगिन्दर दहिया का कहना है कि स्कूल में बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं होने के बावजूद शिफ्ट करने का आदेश दिया गया है. इस स्कूल से घोटाले की बू आ रही है.
स्थानीय निवासी हरीश कुमार ने कहा कि नए स्कूल में शिफ्ट करना मुमकिन नहीं है क्योंकि अभी इसमें बहुत खामियां है. उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे खेलेंगे तभी तो मेडल लाएंगे लेकिन स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड तक नहीं है. ऐसे स्कूल में अपने बच्चों को भेजकर उनकी जान जोखिम में नहीं डाल सकते.