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'जलीकट्टू' के बाद अब 'कंबाला' पर बवाल, जानें इस खेल के बारे में...

दक्ष‍िण भारत में हर साल 'कंबाला' यानी कि भैंस दौड़ का आयोजन किया जाता है. जानिये कैसे खेला जाता है और कितना पुराना है यह खेल...

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भैंस दौड़ का खेल 'कंबाला'
भैंस दौड़ का खेल 'कंबाला'

तमिलनाडु में जलीकट्टू आंदोलन की सफलता से प्रेरित होकर आज मंगलुरू में 'कंबाला' खेल का आयोजन किया जा रहा है. इसे आप भैंस दौड़ भी कह सकते हैं.

दक्ष‍िण भारत में हर साल इसका आयोजन किया जाता है. 'कंबाला' से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं. जानिये...

1. तटीय कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों का यह भैंस दौड़ खेल है, जो लगभग आठ दशकों से चला आ रहा है.

2. 'कंबाला' में दो भैंसों को बांध दिया जाता है और उन्हें कीचड़ में दौड़ाया जाता है.

3. भैंसों को 140 से 160 मीटर की दूरी 12 से 13 सेकंड में पूरी करनी होती है.

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4. भैंसों को तेज भगाने के लिए किसान उन्हें कुहनी और कोड़े से मारते हैं.

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5. 'कांबला' खेल दरअसल, नवंबर से मार्च के आखिर तक चलता है.

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6. खेल में जीतने वाली भैंसों को पहले नारियल ईनाम के रूप में दिया जाता था. पर अब इसमें गोल्ड मेडल और ट्रॉफी दी जाने लगी है.

7. जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं द्वारा कोशि‍श किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में जलीकट्टू के साथ-साथ इस खेल पर भी रोक लगा दिया था.

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