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माता की चौकियों में गाने वाली लड़की आज है बॉलीवुड की दिलकश आवाज

साल 2010 में दबंग फिल्म के गाने मुन्नी बदनाम हुई ने उन्हें गायिकी की बुलंदियों पर पहुंचा दिया और उसके बाद उन्होंने टिंकू जिया और फेविकोल से जैसे हिट गाने दिए.

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मध्य प्रदेश के ग्वालियर के बिड़ला नगर की आठवीं पास मधु शर्मा की शादी 13 साल की कच्ची उम्र में प्रमोद शर्मा से कर दी गई. अपेक्षाकृत कम उम्र में ही दो बच्चे-ममता और विवेक भी दुनिया में आ गए. इस बीच मधु ने पति की छत्रछाया में पढ़ाई जारी रखी और संगीत में बीए करने लगीं. घर पर टीचर उन्हें सिखाने आता था. मां के साथ 10 वर्षीया ममता भी चुपके-चुपके रियाज करती. उस्ताद ने तभी मधु को सलाह दी कि बेटी को प्रोत्साहित करो.

मध्यवर्ग के उनके परिवार में सब कुछ सही चल रहा था लेकिन 1991 में पति की मौत से बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया. वे घर का चूल्हा जलाए रखने और दूसरे खर्चों के लिए बेड शीट पीको करतीं, कपड़े सिलतीं और हैंड बैग बनातीं. अपने बच्चों की खातिर मर्दों की तरह दुनिया की तल्ख हकीकतों का सामना किया.

दूसरी ओर, ममता ने गायकी का अपना शौक जारी रखा. उन्होंने जगरातों और माता की चौकियों में गाना शुरू कर दिया. 11 साल की ममता ने जब पहली बार जगराते में गाया तो उन्हें 50 रु. मिले. वे स्टेज शो और जगरातों में गाकर अपने शौक को पूरा कर रही थीं और पैसे भी कमा रही थीं. स्वभाव से शर्मीली और अंतर्मुखी ममता गायकी का मौका मिलते ही बिल्कुल मुखर हो उठतीं. उन्हें संगीत के क्षेत्र में ही अपना करियर बनाना था, लिहाजा मैथ्स और साइंस की पेचीदगियों में दिमाग नहीं खर्च करतीं. 10वीं क्लास के बाद ही उनका इरादा मुंबई जाकर खुद को प्रूव करने का था, लेकिन मां के कहने पर 12वीं तक पढ़ाई की.

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वे 2000 में मां और छोटे भाई के साथ मुंबई पहुंच गईं. लेकिन अनजान शहर में उनका कोई गॉडफादर नहीं था. न रहने का कोई ठिकाना, न ही कोई आसरा. उन्होंने फाइन आट्र्स के लिए कॉलेज में दाखिला ले तो लिया, लेकिन वहां कोई हॉस्टल था नहीं. इसलिए रहने की दिक्कत सामने आई. मां-भाई भी उन्हें ऐसे छोड़कर जा नहीं सकते थे.

संघर्ष के साथ ही किस्मत में उनकी फजीहत भी लिखी थी. मकान की तलाश में किसी के रेफरेंस से एक जगह पहुंचे. उन्हें एक चॉल में ठहरा दिया गया. इस चॉल में रहने वाले कहीं बाहर गए हुए थे. तब तक उनके रहने की व्यवस्था कर दी गई. लेकिन कुछ ही दिन में उस घर में रहने वाले लोगों की वापसी हो गई और वे उन्हें बुरा-भला कहने लगे. ममता बताती हैं, “हमें घर छोडऩा पड़ा. मुझे, विवेक और मां को दादर रेलवे स्टेशन पर समय गुजारना पड़ा.” किसी तरह रहने के लिए घर मिल गया, लेकिन संघर्ष खत्म नहीं हुआ.

ममता स्टेज शो करने लगीं और पहला मौका उन्हें घाटकोपर डांडिया में मिला. इसके बाद उनकी सिंगिंग पसंद की जाने लगी और शो की संख्या बढऩे लगी, जिससे वे अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सकीं. एक स्टेज शो के दौरान संगीतकार ललित पंडित ने उन्हें गाते देखा और फिर उनकी किस्मत बदल गई. ललित ने उनसे दबंग के लिए मुन्नी बदनाम हुई गवाया और फिर देशभर में यह गाना गूंजने लगा. इसके बाद, टिंकू जिया, अनारकली डिस्को चली, पांडेजी सिटी और फेविकोल से जैसे गाने हर पार्टी और शादी-ब्याह में बजने लगे. आसानी से जबान पर चढऩे वाले बोल को शोख, बिंदास और मादक अंदाज में पेशकर वे लोगों की पसंदीदा आइटम सांग गायिका बन गई हैं.

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ममता शर्मा ने एकलव्य की तरह आशा भोंसले को अपना गुरु माना है, और उन्हीं के गानों को गा-गाकर गायिकी को निखारा है. वे लगभग 12 भाषाओं में गा सकती हैं और उनकी आवाज का देसीपन ही उनकी खासियत है. वे कहती हैं, “मुझे हमेशा से अपने दम पर कुछ करने का जुनून रहा है. मैं हर समय यही सोचती थी कि मेरी मां बिना सहारे के जब इतना सब कुछ कर सकती हैं तो मेरे पास तो उनका सहारा है.”

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