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एजुकेशन

गुरुजी की नजर में भारत-पाक सहित ये हैं दुनिया के 3 बड़े विवाद

गुरुजी की नजर में भारत-पाक सहित ये हैं दुनिया के 3 बड़े विवाद
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सैक्रेड गेम्स सीजन 2 के एपिसोड 5 के एक सीन में गुरुजी (पंकज त्रिपाठी) अपने भक्तों को ज्ञान दे रहे हैं. एक जगह वो कहते हैं ये पूरी सृष्टि सिंगल सेल से बनी है. एक ट्रिगर चाहिए होता है सही दिशा में और बन जाती है एक नई दुनिया. इस दुनिया में तीन हिस्टोरिकल कॉन्फ्लिक्ट हैं. पहला है साउथ और नॉर्थ कोरिया, दूसरा इजरायल और फिलिस्तीन, तीसरा सबसे बड़ा इंडिया-पाकिस्तान, ये 70 साल से लड़ रहे हैं. ये सिर्फ वार आफ रिलीजन या वार आफ नेशन नहीं है. ये वार आफ सिविलाइजेशन है. यहां हम आपको इन तीनों विवादों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं. जानें, क्या हैं ये विवाद और इनकी पृष्ठभूमि.
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इजरायल फिलीस्तीन विवाद

गाजा पट्टी एक छोटा-सा फिलिस्तीनी क्षेत्र है. ये मिस्र और इजरायल के मध्य भूमध्य सागरीय तट पर स्थित है. फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है. आज जो इजराइल-फिलिस्तीन आपसी कड़वाहट के लिए जाना जाता है. अब से सौ साल पहले यहां कोई इस्लाम-यहूदी झगड़ा नहीं था. फिर बाद में भी ये झगड़ा कभी धर्म को लेकर हुआ ही नहीं. कहीं न कहीं गुरुजी ने ठीक ही कहा है कि इजराइल और फिलिस्तीन का झगड़ा अब वॉर ऑफ सिविलाइजेशन ज्यादा है.
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जमीन और पहचान के लिए है ये सिविलाइजेशन वार

फिलिस्तीन इजराइल की लड़ाई दो समुदायों के राष्ट्रवाद के चलते शुरू हुई थी जो द्वितीय विश्व-युद्ध और इसके साथ ब्रिटिश राज के खात्मे के बाद दूसरा रूप ले बैठी. कभी अरब देश विदेशी शासन से अपनी आज़ादी के लिए खड़े हुए थे. वहीं दुनिया में जगह-जगह फैले हुए यहूदी तरह-तरह के अत्याचारों से परेशान थे. वो अपने लिए देश बना रहे थे. समस्या ये हुई कि दोनों समुदायों ने एक ही जमीन को अपना मान लिया. जो ब्रिटेन के कब्जे से हाल में ही मुक्त हुआ था. इसी के चलते  1947 में यूएन ने प्रस्ताव दिया कि दोनों इलाकों को दो देशों में बांट दिया जाए और इस बंटवारे के बाद से दोनों देशों के बीच लगातार कड़वाहट और हमलों का दौर जारी रहा.
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भारत पाकिस्तान विवाद
आपस में कभी दो भाइयों की तरह जुड़े रहे इन दो देशों में खराब रिश्तों की जड़ भी 1947 में बंटवारा ही है. भारत के विभाजन के बाद कश्मीर विवाद ही नहीं, तमाम तरह की समस्याएं दोनों देशों को आज तक उलझाए है. कई बार विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक भी आमने-सामने आ चुके हैं. एक दूसरे के इतिहास, सभ्यता, भूगोल और अर्थव्यवस्था एक जैसी होने के बावजूद बंटवारे के साये में दोनों देशों के संबंध खराब स्थिति में पहुंच गए. आज इन दोनों देशों के बीच में भी वॉर ऑफ रिलीजन यानी धर्म के लिए युद्ध नहीं है, बल्कि ये युद्ध प्रतिष्ठा का बन चुका है. हां, ये भी सच है कि कभी बंटवारा धर्म को लेकर ही हुआ था.
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बता दें कि भारत में ब्रिटेन के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने एक नहीं बल्कि दो देशों को स्वतंत्रता देने की घोषणा करके सबको हैरत में डाल दिया था. माउंटबेटन ने अपना ये बयान 3 जून 1947 को दिया था, उसके 10 सप्ताह बाद ही उन्होंने दोनों देशों को बांटकर उनके अलग-अलग स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लिया. लेकिन बंटवारे की त्रासदी और लाखों हत्याओं ने दो देशों के लोगों के बीच कभी न पटने वाली खाईं बना दी.
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साउथ और नॉर्थ कोरिया विवाद
जापान के शासन से मुक्ति के बाद 1947 में ही अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के जरिये कोरिया को एक सिंगल राष्ट्र बनाने की पहल की. इसके बाद UN के आयोग की निगरानी में चुनाव कराने का फैसला लिया गया. मई 1948 में कोरिया प्रायद्वीप के दक्षिण हिस्से में चुनाव हुआ. इस चुनाव के साथ ही 15 अगस्त को रिपब्लिक ऑफ कोरिया (दक्षिणी कोरिया) बनाने की घोषणा की गई. इस बीच सोवियत संघ के नियंत्रण वाले उत्तर हिस्से में सुप्रीम पीपल्स असेंबली का चुनाव हुआ. इस चुनाव के साथ ही डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) की सितंबर 1948 में घोषणा की गई.
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इसके बावजूद दोनों के बीच सैन्य और राजनीतिक विरोधभास बना रहा. यह संघर्ष पूजींवाद बनाम साम्यवाद के रूप में भी दिखा. फिर दोनों के बीच एक युद्ध भी हुआ. दोनों देशों के बीच जून, 1950 में संघर्ष शुरू हो गया. अमरीकी सेना के साथ 15 अन्य देश दक्षिण कोरिया के साथ आए और डीपीआरके का साथ रूसी और चीनी सेना ने दिया. 1953 में यह युद्ध खत्म हुआ और दो स्वतंत्र राष्ट्र बने. बंटवारे के समय दोनों देशों में काफी गरीबी थी लेकिन दक्षिण कोरिया को अमरीकी मदद मिली. जनरल पार्क चुंग ही ने एक सैन्य तख्ता पलट करके दक्षिण कोरिया की सत्ता हथिया ली. पार्क इस तख्ता पलट में कामयाब रहे लेकिन 1979 में उनकी हत्या हो गई. इस तरह दोनों देशों के बीच लगातार आपसी द्वंद्व जारी है.


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