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एजुकेशन

तिब्बत का वो निर्वासित राष्ट्राध्यक्ष जिसकी वजह से बिगड़े भारत-चीन संबंध

तिब्बत का वो निर्वासित राष्ट्राध्यक्ष जिसकी वजह से बिगड़े भारत-चीन संबंध
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तिब्बत मूल के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा आज 85 साल के हो गए. तमाम राजनीतिक गहमागहमी के बीच इन दिनों चीन-भारत संबंध और तिब्बत लगातार चर्चा में हैं. दलाईलामा के आध्यात्म‍िक जीवन से पहले उनका एक राजनीत‍िक जीवन भी रहा है. ऐसा भी कहा जाता है कि भारत चीन संबंधों के ब‍िगड़ने की वजहों में से एक वो भी हैं.
तिब्बत का वो निर्वासित राष्ट्राध्यक्ष जिसकी वजह से बिगड़े भारत-चीन संबंध
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बता दें कि चीन तिब्बत पर लगातार अपना दावा पेश करता है.  इसके पीछे के इतिहास में जाएं तो बात शुरू होती है साल 1959 से जब तिब्बतियों के धार्मिक और राजनीतिक नेता दलाई लामा चीनी सरकार के खिलाफ एक नाकाम विद्रोह के बाद वहां से भागे.
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इसके बाद भारत ने उन्हें न सिर्फ यहां रहने की आजादी दी बल्क‍ि अन्य सुविधाएं भी दीं. यही नहीं दलाईलामा ने भारत में तिब्बती लोगों की निर्वासित सरकार का गठन किया. उनके आने के इतने साल बाद भी तिब्बत के लोग चीन सरकार के अधीन रहते हुए स्वायत्तता की मांग करते हैं.
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बता दें कि 31 मार्च 1959 को तिब्बती धर्मगुरु ने भारत में कदम रखा. BBC की रिपोर्ट के अनुसार 17 मार्च को वो तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल ही निकल पड़े थे. यहां से वो हिमालय के पहाड़ों को पार करते हुए 15 दिनों बाद भारतीय सीमा में आए. जब किसी को उनकी खबर नहीं लगी तो ये आशंका भी जताई गई कि उनकी मौत हो गई होगी.
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उस वक्त दलाई लामा अपने कुछ सैनिक और कैबिनेट मंत्रियों के साथ वहां से निर्वासित हुए थे. चीन से बचने के लिए ये पूरा कुनबा सिर्फ रात में पैदल चलता था. टाइम मैगजीन के मुताबिक बाद में ये अफवाह भी खूब चर्चा में रही कि बौद्ध धर्म के लोगों की प्रार्थनाओं के कारण धुंध बनी और बादलों ने चीन के लाल जहाजों की नजर से उन्हें बचाए रखा.
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बता दें कि चीन आज भी दलाईलामा को अलगाववादी के तौर पर अपने आंखों की किरकिरी मानता है. यदि दलाईलामा अमेरिका भी जाते हैं तो चीन सचेत हो जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि चीन और दलाई लामा का इतिहास ही चीन और तिब्बत का इतिहास है.
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अप्रैल 2017 में भी दलाईलामा ने जब आध्यात्म‍िक उद्देश्य से अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का जिक्र किया तो चीन ने भारत के ख‍िलाफ सख्त विरोध जताया था. तब चीन ने कहा था कि 'भारत को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. इससे भारत को कोई फायदा नहीं होगा.'
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समाचार एजेंसियों के मुताबिक उस वक्त चीन ने कहा था कि भारत तिब्बती धर्मगुरु को भारत-चीन सीमा पर विवादित हिस्से में जाने की इजाजत देता है तो ये दोनों देशों के बीच संबंधों पर गंभीर असर डालेगा. वहीं भारत ने कहा था कि ये यात्रा धार्मिक आधार पर है.
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गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट करके कहा था कि भारत एक सेक्युलर लोकतांत्रिक देश है और धार्मिक नेताओं पर पाबंदी नहीं लगाता है. मैं चीन से अपील करता हूं कि वो दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को राजनीतिक रूप में न ले.

(ALL PHOTOS: FACEBOOK)
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