विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विश्वविद्यालयों से एमफिल कार्यक्रम में प्रवेश बंद करने को कहा है. आयोग ने कहा है कि एमफिल डिग्री एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है और इसलिए एमफिल पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश बंद करने को कहा है. यूजीसी का नोटिस तब आया है जब आयोग ने पाया कि कुछ विश्वविद्यालय एमफिल कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए नए आवेदन आमंत्रित कर रहे हैं.
बता दें कि यूजीसी के संज्ञान में आया है कि कुछ विश्वविद्यालय एमफिल (मास्टर ऑफ फिलॉसफी) कार्यक्रम के लिए नए आवेदन आमंत्रित कर रहे हैं. यूजीसी ने कहा है कि इस संबंध में यह ध्यान में लाना है कि एमफिल डिग्री एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है. आयोग ने पिछले साल बड़ा फैसला लेते हुए एम.फिल की डिग्री को खत्म कर दिया है. अब से किसी कॉलेज में एम.फिल में एडमिशन नहीं होगा. इ
यूजीसी ने कॉलेजों को नोटिस जारी करके निर्देश दिया है. कॉलेजों के साथ ही यूजीसी सेक्रेटरी मनीष जोशी ने स्टूडेंट्स से भी आग्रह किया है कि वे इस कोर्स में एडमिशन न लें. दरअसल, यूजीसी ने साल 2022 में MPhil की डिग्री पर रोक लगा दी थी. ये फैसला नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के आने के बाद लिया गया था.
NEP के मुताबिक क्या है एमफिल का विकल्प?
NEP 2020 के तहत हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को अब अलग-अलग कैटगरी के मास्टर्स कोर्स कराने की इजाजत दी गई है. इसमें एक प्रोग्राम के तहत दो साल की मास्टर्स डिग्री की जा सकेगी. इसमें दूसरा साल पूरी तरह से रिसर्च वर्क के लिए होगा. चार साल की बेचलर्स डिग्री करने वालों के लिए एक साल का मास्टर्स प्रोग्राम करने की छूट है. इसके अलावा पांच साल का इंटीग्रेटेड बेचलर्स/मास्टर्स प्रोग्राम भी इसी लिस्ट में शामिल है.
एमफिल कोर्स के बारे में
एमफिल यानी मास्टर ऑफ फिलॉसफी एक दो साल का पोस्टग्रेजुएट एकेडमिक रिसर्च प्रोग्राम है जो पीएचडी के लिए प्रोविजनल इनरोलमेंट की तरह भी काम करता है. एम.फिल की डिग्री आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज, साइंस, मैनेजमेंट, साइकोलॉजी और कॉमर्स आदि में ली जाती है. इस डिग्री को डिस्कॉन्टीन्यू करने की सिफारिश नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में की गई थी. इस साल से इसे अमान्य घोषित कर दिया गया है. इसीलिए यूजीसी ने कॉलेज और स्टूडेंट्स दोनों से आग्रह किया है कि इस डिग्री कोर्स में एडमिशन न लें.